Thursday, May 31, 2018

मेरी जिन्दगी....

       सीख लो जिंदगी...से..

 *हर पल मुस्कुराओ,* *बड़ी* *“खास”*
          *है जिंदगी…!*
*क्या सुख क्या दुःख ,बड़ी “आस”*
           *है जिंदगी… !*
*ना शिकायत करो .ना कभी*
             *उदास हो.*
*जिंदा दिल से जीने का “अहसास”*
           *है जिंदगी…..!!*


*ख़ुशी जल्दी में थी रुकी नहीं,*
          *ग़म फुरसत में थे - ठहर गए...!*
*"लोगों की नज़रों में फर्क अब भी नहीं है ....*
             *पहले मुड़ कर देखते थे ....*
 *अब देख कर मुड़ जाते हैं*
               *आज परछाई से पूछ ही लिया*
*क्यों चलती हो , मेरे साथ*
            *उसने भी हँसके कहा-*
*दूसरा कौन है तेरे साथ ।

                     चंद्रा भगत् ।

Monday, May 28, 2018

जय हो..

                 दिवाना...


हम दिवानों की क्या हस्ती,है आज यहाँ कल वहाँ चले,
मस्ती का आलम साथ चला ,हम धूल उडाते जहाँ चले!
..........आए बनकर उल्लास अभी ,आँसू बनकर बह चले,
..........सब कहते ही रह गये, अरे, तुम कैसे आए,कहाँ चले?
किस ओर चले ?यह मत पुछो,चलना है, बस इसलिए चले,
जग से उसका कुछ लिए चले,जग को अपना कुछ दिअ चले!
.........भगवतीचरण वर्मा.. की " दीवानों की हस्ती" रचना के कुछ अंश....जो जोस दिलाने... मन मानी  करने को कह रही है
................ मोहन नेगी....

Friday, May 25, 2018

नयी सुबह की ओर..

              शुभ प्रभात....

*नीरस निशा गयी।*
     *भव्य भोर हो गया।।*

*चन्द्रमा की चमक गयी।*
*चंचल चकोर सो गया।।*

*स्वर्णिम सुहाना सूर्य।*
      *सत्कार कीजिये ।।*

*नेह नम्रता से भरा*
     *नमस्कार लीजिये।।*

                 *नई सुबह इतनी*
                 *सुहानी हो जाए;*
        *आपके दुखों की सारी बातें*
                  *पुरानी हो जाएं;*
            *दे जाए इतनी खुशियां*
                  *ये दिन आपको;*
            *कि ख़ुशी भी आपकी*
                   *मुस्कुराहट की*
                 *दीवानी हो जाएं ।
                                      चंद्रा भगत्

Tuesday, May 15, 2018

मन की ....बात...

   

दर्द कागज़ पर,*
          *मेरा बिकता रहा,*

*मैं बैचैन था,*
          *रातभर लिखता रहा..*

*छू रहे थे सब,*
          *बुलंदियाँ आसमान की,*

*मैं सितारों के बीच,*
          *चाँद की तरह छिपता रहा..*

*अकड होती तो,*
          *कब का टूट गया होता,*

*मैं था नाज़ुक डाली,*
          *जो सबके आगे झुकता रहा..*

*बदले यहाँ लोगों ने,*
         *रंग अपने-अपने ढंग से,*

*रंग मेरा भी निखरा पर,*
         *मैं मेहँदी की तरह पीसता रहा..*

*जिनको जल्दी थी,*
         *वो बढ़ चले मंज़िल की ओर,*

*मैं समन्दर से राज,*
         *गहराई के सीखता रहा..!!*

*"ज़िन्दगी कभी भी ले सकती है करवट...*
*तू गुमान न कर...*

*बुलंदियाँ छू हज़ार, मगर...*
*उसके लिए कोई 'गुनाह' न कर.*

*कुछ बेतुके झगड़े*,
*कुछ इस तरह खत्म कर दिए मैंने*

*जहाँ गलती नही भी थी मेरी*,
*फिर भी हाथ जोड़ दिए मैंने*
                     चंद्रा भगत्

Monday, May 14, 2018

नवीन..।

             नव चेतना...।

आशा तुम नव जीवन हो
घनघोर निराशा का मर्दन हो
मेरे जीवन का तुम तर्पण हो
तम में प्रकाश का कण हो
मेरे जीवन का हर क्षण हो
जब आयी हो, तुम नव संचार कराया है
हर पल का,सुखद अहसास दिलाया है
तुम जाती हो ,घनघोर निराशा छाती है
तुम मिलती हो ,नव उद्देश्य नजर आ जाते है
तुम सकारत्मकता का उदाहरण हो
मेरे जीवन का कारण हो
मुझमे तुम नव  संचार करो
मेरे कण- कण में तुम वास करो
मेरे जीवन की पूजा हो तुम
संघर्षो की सहभागी हो तुम
मेरा अब उद्धार करो।
मेरा अब उद्धार करो।
                     नवीन भट्ट जी ।
दिल टूटना सजा है महोब्बत की
 दिल जोडना अदा है दोस्ती की
 माँगे जो कुर्बानी वो है महोब्बत
 जो बिन माँगे हो जाऐ कुर्बान
         
     वो है दोस्ती हमारी
                   चंद्रा भगत्

Tuesday, May 8, 2018

बस हाँ..तू...।

                      तेरे लिए..।

ये जो हलकी सी फ़िक्र करते हो न हमारी
बस इसलिए हम बेफिक्र रहने लगे हैं


 सपना मत बनाओ मुझे, सपने सच नहीं होते, बनाना है तो अपना साया बनाओ, कभी साथ ना छोड़ेंगे तुम्हारा.


हम ख़ास तो नहीं मगर बारिश की उन कतरों की तरह अनमोल हैं,
जो मिट्टी में समां जायें तो फिर कभी नहीं मिला करते।


जो लोग एक तरफा प्यार करते है
अपनी ज़िन्दगी को खुद बर्बाद करते है !
नहीं मिलता बिना नसीब के कुछ भी,
फिर भी लोग खुद पर अत्याचार करते है !!


तेरी तो फितरत थी सबसे मुहब्बत करने की,
हम तो बेवजह खुद को खुशनसीब समझने लगे



अगर फुर्सत के लम्हों में मुझे याद करते हो तो अब मत करना,
क्योंकि मैं तन्हा जरूर हूँ ... मगर फ़िज़ूल बिलकुल नहीं...।
                      चंद्रा भगत् ।

Monday, May 7, 2018

दर्द है तेरे प्यार ..

     बस चलते चलते तेरा ख्याल गया.।

 मोहब्बत की आजमाइश दे दे कर थक गया हूँ ऐ खुदा..
किस्मत मेँ कोई ऐसा लिख दे, जो मौत तक वफा करे ।

चित्रकार तुझे उस्ताद मानूँगा,
दर्द भी खींच मेरी तस्वीर के साथ।

 मत किया कर ऐ दिल किसी से मोहौबत इतनी ,जो लोग बात नहीं करते वो प्यार क्या करेंगे ।

कुछ खास नही बस इतनी सी है मोहब्बत मेरी ..
हर रात का आखरी खयाल और हर सुबह की पहली सोच हो तुम ।

चलो माना कि हमें प्यार का इज़हार करना नहीं आता,
जज़्बात न समझ सको इतने नादान तो तुम भी नहीं।

सब सो गए अपना दर्द
अपनो को सुना के..
मेरा भी कोई अपना होता
तो मुझे भी नीद आ जाती ।
              Mohan Negi ।

Thursday, May 3, 2018

बेटी एक .सम्मान...।

       बेटी..

एक औरत गर्भ से थी
पति को जब पता लगा
की कोख में बेटी हैं तो
वो उसका गर्भपात
करवाना चाहते हैं
दुःखी होकर पत्नी अपने
पति से क्या कहती हैं :-

सुनो,
ना मारो इस नन्ही कलि को,
वो खूब सारा प्यार हम पर
लुटायेगी,
जितने भी टूटे हैं सपने,
फिर से वो सब सजाएगी..

सुनो,
ना मारो इस नन्ही कलि को,
जब जब घर आओगे
तुम्हे खूब हंसाएगी,
तुम प्यार ना करना
बेशक उसको,
वो अपना प्यार लुटाएगी..

सुनो
ना मारो इस नन्ही कलि को,
हर काम की चिंता
एक पल में भगाएगी,
किस्मत को दोष ना दो,
वो अपना घर
आंगन महकाएगी.

ये सब सुन पति
अपनी पत्नी को कहता हैं :-

सुनो
में भी नही चाहता मारना
इसनन्ही कलि को,
तुम क्या जानो,
प्यार नहीं हैं
क्या मुझको अपनी परी से,
पर डरता हूँ
समाज में हो रही रोज रोज
की दरिंदगी से..

क्या फिर खुद वो इन सबसे अपनी लाज बचा पाएगी,
क्यूँ ना मारू में इस कलि को,
वो बहार नोची जाएगी..
में प्यार इसे खूब दूंगा,
पर बहार किस किस से
बचाऊंगा,
जब उठेगी हर तरफ से
नजरें, तो रोक खुद को
ना पाउँगा..
क्या तू अपनी नन्ही परी को,
इस दौर में लाना चाहोगी,

जब तड़फेगी वो नजरो के आगे, क्या वो सब सह पाओगी,
क्यों ना मारू में अपनी नन्ही परी को, क्या बीती होगी उनपे,
जिन्हें मिला हैं ऐसा नजराना,
क्या तू भी अपनी परी को
ऐसी मौत दिलाना चाहोगी..

ये सुनकर गर्भ से
आवाज आती है…..ं
सुनो माँ पापा-
मैं आपकी बेटी हूँ
मेरी भी सुनो :-

पापा सुनो ना,
साथ देना आप मेरा,
मजबूत बनाना मेरे हौसले को,
घर लक्ष्मी है आपकी बेटी,
वक्त पड़ने पर मैं काली भी बन जाऊँगी

पापा सुनो,
ना मारो अपनी नन्ही कलि को, तुम उड़ान देना मेरे हर वजूद को,
में भी कल्पना चावला की तरह, ऊँची उड़ान भर जाऊँगी..

पापा सुनो,
ना मारो अपनी नन्ही कलि को, आप बन जाना मेरी छत्र छाया,
में झाँसी की रानी की तरह खुद की गैरो से लाज बचाऊँगी ।
                      चंद्रा भगत्