Monday, March 16, 2020

गेहूँ का ज्वारा.......यानि ग्रीन ब्लड.

                                            गेहूँ का ज्वारा



गेहूँ का ज्वारा अर्थात गेहूँ के छोटे-छोटे पौधों की हरी-हरी पत्ती, जिसमे है शुद्ध रक्त बनाने की अद्भुत शक्ति. तभी तो इन ज्वारो के रस को "ग्रीन ब्लड" कहा गया है. इसे ग्रीन ब्लड कहने का एक कारणयह भी है कि रासायनिक संरचना पर ध्यानाकर्षण किया जाए तो गेहूँ के ज्वारे के रस और मानव मानव रुधिर दोनों का ही पी.एच. फैक्टर 7.4 ही है जिसके कारण इसके रस का सेवन करने से इसका रक्त में अभिशोषण शीघ्र हो जाता है, जिससे रक्ताल्पता(एनीमिया) और पीलिया(जांडिस)रोगी के लिए यह ईश्वर प्रदत्त अमृत हो जाता है. गेहूँ के ज्वारे के रस का नियमित सेवन और नाड़ी शोधन प्रणायाम से मानव  शारीर के समस्त नाड़ियों का शोधन होकर मनुष्य समस्त प्रकार के रक्तविकारों से मुक्त हो जाता है. गेहूँ के ज्वारे में पर्याप्त मात्रा में क्लोरोफिल पाया जाता है जो तेजी से रक्त बनता है इसीलिए तो इसे प्राकृतिक परमाणु की संज्ञा भी दी गयी है. गेहूँ के पत्तियों के रस में विटामिन बी.सी. और ई प्रचुर मात्रा में पाया जाता है.

गेहूँ घास के सेवन से कोष्ठबद्धता, एसिडिटी , गठिया, भगंदर, मधुमेह, बवासीर, खासी, दमा, नेत्ररोग,म्यूकस, उच्चरक्तचाप, वायु विकार इत्यादि में भी अप्रत्याशित लाभ होता है. इसके रस के सेवन से अपार शारीरिक शक्ति कि वृद्धि होती है तथा मूत्राशय कि पथरी के लिए तो यह रामबाण है. गेहूँ के ज्वारे से रस निकालते समय यह ध्यान रहे कि पत्तियों में से जड़ वाला सफेद हिस्सा काट कर फेंक दे. केवल हरे हिस्से का ही रस सेवन कर लेना ही विशेष लाभकारी होता है. रस निकालने के पहले ज्वारे को धो भी लेना चाहिए. यह ध्यान रहे कि जिस ज्वारे से रस निकाला जाय उसकी ऊंचाई अधिकतम पांच से छः इंच ही हो.

जो जैसा......... उसको वैसा.......?

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नमस्कार दोस्तों आज बहुत दिनों बाद आप के साथ में एक कविता साझां कर रहा हूँ 
पसंद आये तो लिखे और कमेंट जरूर कर  देना।

                                     


                                        कहीं मिलेगी जिंदगी में प्रशंसा तो 
                                        कहीं नाराजगियाँ का बहाव मिलेगा,


                  कहीं मिलेगी सच्चे मन से दुआ तो
                  कहीं भावनाओं में दुर्भाव मिलेगा,


                                     तू चला चल राही अपने कर्म पथ पे 
                                     जैसा तेरा भाव वैसा प्रभाव मिलेगा। 
     
         ये एक कविता हमारे मन के भाव को उजागर कर रही है
         और  भाव  होंगे वैसा ही हमे प्राप्त होगा।
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                                                                                                                      मोहन नेगी 
  

Wednesday, March 11, 2020

महुआ..

नमस्कार दोस्तों आज मैं आप को एक पौधें  बारे में बताने  हूँ जो भारत में उगाया जाता यह आयुर्वेद  बहुत उपयोगी होने  साथ -साथ इमरती  लकड़ी के लिए भी उपयोगी है. 
 तो आइये मैं आप को उस पौधें के बारे में बताता हूँ।
महुआ 
पौधे की जानकारी
उपयोग :
छाल का उपयोग कुष्ठ रोग का इलाज करने और घावों को ठीक करने के लिए किया जाता है।
फूलों का उपयोग खांसी, मतली और हद्य से संबधित रोगों के इलाज के लिए किया जाता है।
फूलों का उपयोग गैर शराबी उत्पाद जैसे जेम, जेली, शरबत, अचार, बेकरी और मिठाई से संबंधित खाद्य पदार्थ बनाने में किया जाता है।
फलों का उपयोग रक्त संबंधी रोगो में किया जाता है।इसका उपयोग पारंपरिक शराब बनाने में किया जाता है।
महुआ तेल का उपयोग साबुन निर्माण में किया जाता है।

महुआ के लिए इमेज नतीजेउपयोगी भाग :
संपूर्ण वृक्ष
रासायिनक घटक :
फूल चीनी, प्रोटीन, विटामिन और खनिजों के समृध्द स्त्रोत होते है।
उत्पति और वितरण :
यह मूल रूप से भारत का वृक्ष है और शुष्क क्षेत्रो के लिए अनुकूल है। यह प्रजाति संपूर्ण भारत, श्रीलंका और संभवत: म्यमार (पहले वर्मा) में पाई जाती है। भारत में यह गर्म भागों उष्णकटिबंधीय हिमालय और पश्चिमी घाट में पाया जाता है।
वितरण : महुआ भारतीय वनों का सबसे महत्वपूर्ण वृक्ष है जिसका कारण ना केवल इससे प्राप्त बहुमूल्य लकड़ी है वल्कि इससे प्राप्त स्वादिष्ट और पोषक फूल भी है। यह अधिक वृध्दि करने वाला वृक्ष है। इसकी सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इसके फूलों को संग्रहीत करके लगभग अनिश्चित काल के लिए रखा जा सकता है।

वर्गीकरण विज्ञान, वर्गीकृत

महुआ के लिए इमेज नतीजेकुल : सपोटेसी

आर्डर : एरीकेलीस

प्रजातियां : एम. लांगीफोलिया
वितरण :

महुआ भारतीय वनों का सबसे महत्वपूर्ण वृक्ष है जिसका कारण ना केवल इससे प्राप्त बहुमूल्य लकड़ी है वल्कि इससे प्राप्त स्वादिष्ट और पोषक फूल भी है। यह अधिक वृध्दि करने वाला वृक्ष है। इसकी सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इसके फूलों को संग्रहीत करके लगभग अनिश्चित काल के लिए रखा जा सकता है।

आकृति विज्ञान, बाह्रय स्वरूप

स्वरूप :
यह एक विशाल और मोटी छाल वाला पर्णपाती वृक्ष है।
पेड़ की छाल भूरे रंग की और लंबवत् ददारों के साथ होती है।
पत्तिंया :
पत्तियाँ शाखाओ के शिरे में समूहों के रुप में, अण्डाकार और आयताकार आकार की होती है।
युवा पत्तियाँ रोमिल होती है।
अधिकांश पत्तियाँ फरवरी से अप्रैल माह में गिर जाती है।
फूल :
इस वृक्ष में फूल 10 वर्ष की आयु से शुरू होते है और लगभग 100 वर्ष तक लगातार आते रहते है।
फूल घने, अधिक मात्रा में आकार में, छोटे और पीले सफेद रंग के होते है।
फूलों से कस्तूरी जैसी सुगंध आती है।
फूल मार्च - अप्रैल माह में आते है।
फल :
फल अंडाकार और 1-2 इंच लंबे होते है ।
फल प्रारंभ मे हरे और परिपक्व होने पर पीले दिखाई देते है।
फलों का बाहरी आवरण भोजन के रूप में उपयोग किया जाता है।
फल मई से अगस्त माह में आते है।
परिपक्व ऊँचाई :
यह वृक्ष लगभग 20 मी. तक की ऊँचाई तक बढ़ता हैं।

यह   किसी भी मिटटी और पर्यावरण में पैदा हो जाता  है इस  के बारे में आप ने पढ़  ही  लिया होगा। 
 आप कमेंट और like जरूर करें और यह जरूर  बतायें  मेरा लेख कैसा सा लगा। 
                                                                                             मोहन नेगी      







कड़ी पत्ते के फायदे


कड़ी पत्ते के फायदे
kaid ke पत्ते के फायदे के लिए इमेज नतीजे


नमस्कार दोस्तों आज हम  कड़ी पत्ते के बारे में बात करेंगे कि कड़ी पत्ता क्या है और इस का हमारे जीवन में क्या उपयोग है
भारत में कड़ी पत्ता आसानी से मिलने वाला एक पौधा है जो ठंडे और ऊंची पहाड़ियों को छौड़  कर हर जगह मिल जाता है यह एक छोटा सा फैला हुआ पढ़ा है यह झाड़ियों की तरह ही उगता या उगाया जाता है में जहाँ रहता हूँ यहा  तो आसानी से जंगलों में मिल जाता है
कड़ी पत्‍ता या फिर जिसको हम मीठी नीम के नाम से भी जानते हैं, भोजन में डालने वाली सबसे अहम सामग्री मानी जाती है। यह खास तौर पर साउथ इंडिया में काफी पसंद किया जाता है। अक्‍सर लोग इसे अपनी सब्‍जियों और दाल में पड़ा देख, हाथों से उठा कर दूर कर देते हैं। पर आपको ऐसा नहीं करना चाहिये। कड़ी पत्‍ते में कई मेडिकल प्रोपर्टी छुपी हुई हैं। यह हमारे भोजन को आसानी से हजम करता है और अगर इसे मठ्ठे में हींग और कुडी़ पत्‍ते को मिला कर पीया जाए तो भोजन आसानी से हजम हो जाता है। 
वैसे तो इसको सब जानते है की यह क्या है कड़ी के पत्ते का उपयोग भारत में मशाले के रुप में है मगर पुराने समय से ही इस के आयुर्वेदिक उपयोग भी बताये गए हैं 
चलिए जानते हैं इसके बारे में और भी महत्‍वपूर्ण बातें-

कड़ी पत्‍ते का उपयोग-

1. मतली और अपच जैसी समस्‍या के लिए कड़ी पत्‍ते का उपयोग बहुत लाभकारी होता है। इसको तैयार करने के लिए कड़ी पत्‍ते का रस ले कर उसमें नींबू निचोडें और उसमें थोड़ा सी चीनी मिलाकर प्रयोग करें। 

2. अगर आप अपने बढ़ते हुए वजन से परेशान हैं और कोई उपाय नहीं सूझ रहा है। तो रोज कुछ पत्‍तियां कड़ी नीम की चबाएं। इससे आपको अवश्‍य फायदा होगा। 

3. कड़ी पत्‍ता हमारी आंखों की ज्‍योती बढाने में भी काफी फायदेमंद है। साथ ही यह भी माना जाता है कि यह कैटरैक्‍ट जैसी भंयकर बीमारी को भी दूर करती है। 

4. अगर आपके बाल झड़ रहें हों या फिर अचानक सफेद होने लग गए हों तो कड़ी पत्‍ता जरुर खाएं। अगर आपको कड़ी पत्‍ता समूचा नहीं अच्‍छा लगता तो बाजार से उसका पाउडर खरीद लें और फिर उसे अपने भोजन में डाल कर खाएं। 

5. इसके साथ ही आप चाहें तो अपने हेयर ऑयल में ही कड़ी के पत्‍ते को उबाल लें। इस हेयर टॉनिक को लगाने से आपके बालों की जितनी भी समस्‍या होगी वह सब दूर हो जाएगी। 

6. अगर डायबी‍टीज रोगी कड़ी के पत्‍ते को रोज सुबह तीन महीने तक लगातार खाएं तो फायदा होगा। इसके अलावा अगर डायबीटीज मोटापे की वजह से हुआ है, तो कड़ी पत्‍ता मोटापे को कम कर के मधुमेह को भी दूर कर सकता है। 

7. सिर्फ कड़ी पत्‍ता ही नहीं बल्कि इसकी जड़ भी काफी उपयोगी होती है। जिन लोगों की किड़नी में दर्द रहता है, वह अगर इसका रस पिएं तो उन्‍हें अवश्‍य फायदा होगा।


 कड़ी पप्ते के अनेक फायदे बताये गए हैं मगर हमें  जो चीज आसानी से प्राप्त हो जाती है हम उस की महत्ता कम कर के मापते हैं.
  तो दोस्तों  आप  को आज का विचार कैसा सा लगा मैं  आप को  ऐसी तरह से आयुर्वेद और उस के फायदों के बारे में बताता रहूँगा में रोज आप के लिए आयुर्वेद से जुडी कोई भी चीज हो उस को आप के लिए लाऊंगा आप मेरे विचार को पड़े और  जीवन में अपनाये आप को जरूर फायदा होगा विश्वास ही है जो हमें आगे की और बढ़ाता है और आयुर्वेद ही है जो हमे निरोग स्वस्थ जीवन देगा 
आपका अपना ------                                                                                मोहन नेगी  



  




Saturday, March 7, 2020

कोरोना वायरस? ????...

        कोरोना वायरस से बचने के उपाय  :- 
दोस्तों नमस्कार , जैसा की आप सब को पता ही है कि चीन में कोरोना वायरस से हजारों  लोग मर चुके है और इस वायरस के लक्षण भारत में भी देखे गए है मई कोई डॉक्टर नहीं हूँ मगर में जनता हूँ की क्या कर  और क्या न कर के  हम इस वायरस से बच सकते हैं
आओ पहले हम जान लेते है.
 क्या है ?
चीन में फैले इस  वायरस की सुरुवात पक्षी के लार से हुए है  चमकादड़  के मीट से हुए है  सरल भाषा में कुछ  टोक्सिनों के आपसी मिल जाने से हुए है।
 (सीओवी) का संबंध वायरस के ऐसे परिवार से है, जिसके संक्रमण से जुकाम से लेकर सांस लेने में तकलीफ जैसी समस्या हो सकती है. इस वायरस को पहले कभी नहीं देखा गया है. इस वायरस का संक्रमण दिसंबर में चीन के वुहान में शुरू हुआ था. डब्लूएचओ के मुताबिक, बुखार, खांसी, सांस लेने में तकलीफ इसके लक्षण हैं. अब तक इस वायरस को फैलने से रोकने वाला कोई टीका नहीं बना है.
क्या हैं इस बीमारी के लक्षण? -इसके संक्रमण के फलस्वरूप बुखार, जुकाम, सांस लेने में तकलीफ, नाक बहना और गले में खराश जैसी समस्या उत्पन्न होती हैं. यह वायरस एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलता है. इसलिए इसे लेकर बहुत सावधानी बरती जा रही है. यह वायरस दिसंबर में सबसे पहले चीन में पकड़ में आया था. इसके दूसरे देशों में पहुंच जाने की आशंका जताई जा रही है. क्या हैं इससे बचाव के उपाय?       
कोरोना वायरस को कोविड 19 कहते है 
आप कोरोना से संक्रमित व्यक्ति की पहचान कर लें, यह जरूरी नहीं है, कोरोना से संक्रमण के लक्षण आम सर्दी-जुकाम की तरह ही होते हैं. कोविड 19 की पहचान लैब में जांच के बाद ही की जा सकती है.
  
स्‍वास्‍थ्‍य मंत्रालय ने कोरोना वायरस से बचने के लिए दिशानिर्देश जारी किए हैं. इनके मुताबिक, हाथों को साबुन से धोना चाहिए. अल्‍कोहल आधारित हैंड रब का इस्‍तेमाल भी किया जा सकता है. खांसते और छीकते समय नाक और मुंह रूमाल या टिश्‍यू पेपर से ढककर रखें. जिन व्‍यक्तियों में कोल्‍ड और फ्लू के लक्षण हों उनसे दूरी बनाकर रखें. अंडे और मांस के सेवन से बचें. जंगली जानवरों के संपर्क में आने से बचें.

स्वास्थ्य अधिकारियों के लिए इसे फैलने से रोकना एक बड़ी चुनौती बन गई है. हालांकि, चीन इसे रोकने के लिए हर मुमकिन कोशिश कर रहा है. इसे दुनिया भर में कोरोना वायरस के केस लगातार सामने आने के बाद विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी डब्लूएचओ ने कोरोना वायरस को अंतर्राष्ट्रीय आपातकाल घोषित किया है.

कोरोना का वायरस कहीं भी पहुंच सकता है, जब तक इसकी राह में कोई बाधा नहीं आये. जब हम छींकते हैं या खांसते हैं तो हमारे मुंह से कुछ बूंदें गिरती हैं. अगर इनकी राह में कुछ नहीं आये तो ये सीधे जमीन पर पहुंच सकती हैं. कोरोना का वायरस आपके शरीर में तभी पहुंच सकता है जब यह आपके आंख, नाक या मुंह में पहुंचे. कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि कोरोना के संक्रमण की प्रमुख वजह खांसना या छींकना ही है. किसी व्यक्ति के बहुत करीब जाकर बात करने या साथ खाना खाने से भी कोरोना का वायरस फ़ैल सकता है. एक विशेषज्ञ ने कहा, "अगर आप किसी व्यक्ति के इतने करीब हैं कि उनके मुंह से आपको लहसुन या अदरक की खुशबू आ रही है तो किसी संक्रमित व्यक्ति से आपके शरीर में भी कोरोना का वायरस पहुंच सकता है." विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रवक्ता ने कहा, "किसी बीमार व्यक्ति से कम से कम तीन फीट की दूरी पर रहना ठीक है."
 कोरोना वायरस से बचने के लिए हमरे पास बहुत  उपाय है जिस को हम इस्तेमाल कर के इस वायरस से बच सकते हैं। 
उपाय तो बहुत हैं  बस हमें कुछ सावधानियां अपनानी होंगीं
  • हमें अपनी और अपने चारों ओर की सफाई रखनी चाहिए।
  • हमें अपने हाथों को साबुन या ऐंटी शेफ्टीक केमिकल से धोने चाहिए। 
  • किसी भी अनजान लोगों से दूर ही रहने चाहिए।   
  • दोस्त या किसी से मिलते समय हाथ न मिला कर नमस्कार कर के ही औपचारिकता निभानी चाहिए।
  • हमें ठंडे खान पान से दूर रहना चाहिए। 
  • जितना हो सके गर्म चीजों का सेवन करना चाहिए। 
  • मीट ,मुर्गा ,और जानवरों के मांस से जितना हो सके दुरी बनाये रखनी चाहिए। 
  • पालतू जानवर हैं तो भी  थोड़ा सावधानी से ही काम करना चाहिए। 
हमें उपाय तो करने ही हैं मगर हमें  उपायों के साथ साथ कुछ आयुर्वेदिक उपाय भी करे तो ये कोरोना वायरस हमरे पास कभी फटक ही नहीं पायेगा और इस के बारे में सब को बताना भी चाहिए।
बाबा रामदेव जी ने कुछ योग और आयुर्वेद तरिके भी बताये हैं। ---
  • कपाल भाति 
  • अनुलोम बिलोम 
  • भस्त्रिका 
  • बाह्य प्रणायाम 
  • ब्रामिका 
ये पाचं प्राणायाम है जो हमे रोज करने चाहिए   रोज  करने से हमारे शरीर में इम्युनिटी पावर बढ़ती है जिस से ये वायरस हमरे पास भटक   भी नहीं सकता  ये वायरस बहुत ही कमजोर है  है इस को ख़त्म करने का अभी तक उपाय नहीं  हैं हाँ अगर किसी को यह वायरस हुवा है तो सबसे है हमें आयुर्वेदिक उपाय करने चाहिए  जो इस  प्रकार हैं। 
  • गिलोय का काढ़ा एक चम्मच तीन बार। 
  • तुलसी की दो बून्द दो बार। 
  • एलोवेरा दो चम्मच दो बार। 
  • आवंला दो चम्मच। 
इन सब को रोज गर्म पानी के साथ लेना है और डॉक्टर की सलाह भी लेनी जरूरी है.
                                                                                                       मोहन नेगी  




                                       गिलोय। .... आम भाषा में गुर्जा की बेल 










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