Monday, February 17, 2020

एलोवेरा के आयुर्वेदिक् फायदे

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         एलोवेरा के आयुर्वेदिक् फायदे 






एलोवेरा  की खेती का पूरा गणित समझिए, ज्यादा मुनाफे के लिए पत्तियां नहीं पल्प बेचें,

पिछले कुछ वर्षों में एलोवेरा की मांग तेजी से बढ़ी है। कई कंपनियां इसके प्रोडक्ट बना रही हैं। बड़े पैमाने पर इसकी खेती भी हो रही है। लेकिन किसानों के सामने समस्या मार्केट की है। आखिर किसान अपनी फसल बेचे कहां ? दर्जनों किसान कई जालसाज कंपनियों के शिकार हो चुके हैं। इसलिए गांव कनेक्शन आपको इसकी खेती और कारोबार का गणित

की खेती से किसान ने साल भर में कमाए करोड़ों रुपए… एलोवेरा (घृत कुमारी) की खेती मतलब कमाई पक्की। एलोवेरा के पौधों से किसान ने इतने कमाएं, पौधा यहां ले.. एलोवेरा की बिक्री के लिए संपर्क करें.. " ऐसी ख़बरें अक्सर सोशल साइट्स और व्हॉट्सऐप ग्रुप पर वायरल होती रहती हैं। ऐसा नहीं है कि एलोवेरा से किसान कमाई नहीं कर रहे हैं लेकिन इस खेती के लिए कुछ जानकारियां होना जरूरी हैं, वर्ना फायदे की जगह नुकसान हो सकता है। सही भूमि का चयन, पानी और नमी वाली जगह ये बातें आपको एलोवेरा की खेती के दौरान ध्यान में रखनी होंगी।

जब एलोवेरा से संबंधित कोई ख़बर प्रकाशित करता है सैकड़ों किसान फोन और मैसेज कर उस बारे में जानकारी मांगते हैं, क्योंकि लोगों तक सही जानकारी नहीं पहुंच पाती है। पिछले कुछ वर्षों में एलोवेरा के प्रोडक्ट की संख्या तेजी से बढ़ी है। कॉस्मेटिक, ब्यूटी प्रोडक्ट्स से लेकर खाने-पीने के हर्बल प्रोडक्ट और अब तो टेक्सटाइल इंडस्ट्री में इसकी मांग बढ़ी है।

केंद्रीय औषधीय एवं सगंध पौधा संस्थान (सीमैप) में प्रमुख वैज्ञानिक सुदीप टंडन ने गांव कनेक्शन को बताया, एलोवेरा जिसे घृत कुमारी कहा जाता है इसके बहुत फायदे हैं। जिस तरह से एलोवेरा की मांग बढ़ती जा रही है ये किसानों के लिए बहुत फायदे का सौदा है। इसकी खेती कर और इसके प्रोडक्ट बनाकर दोनों तरह से अच्छी कमाई की जा सकती है। लेकिन इसके लिए थोड़ी सवाधानियां बरतनी होंगी। किसानों को चाहिए कि वो कंपनियों से कंट्रैक्ट कर खेती करें और कोशिश करें की पत्तियों की जगह इसका पल्प बेंचे।' बरसात और ठंड के मौसम में एलोवेरा के खेती में ज़्यादा पानी के आवश्यकता नहीं होती। अगर मौसम गर्मी का है तो पंद्रह दिन में एक बार पानी जरूर दें। एलोवेरा की 1 एकड़ खेती से आसानी से 5 से 7 लाख रुपए कमाए जा सकते हैं। अभी बाबा रामदेव की पतंजलि सहित कई कंपनियां एलोवेरा खरीद रही हैं। एलोवेरा पर अभी तक किसी ख़ास रोग का प्रभाव सामने नहीं आया है।

एलोवेरा की खेती की बड़ी बातें हेल्थकेयर, कॉस्मेटिक और टेक्सटाइल में भी एलोवेरा का इस्तेमाल हर्बल दवा बनाने वाली कंपनियों में होता है सबसे ज्यादा इस्तेमाल कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग कर खेती करना किसानों के लिए फायदेमंद पतंजलि, डाबर, बैद्यनाथ, रिलायंस कई बड़ी कंपनियां हैं बड़ी ग्राहक किसानों से सीधे भी पल्प और पत्तियां खरीदती हैं कंपनियां पल्प निकालने या सीधे प्रोडक्ट बनाने की लगा सकते हैं प्रोसेसिंग यूनिट पल्प निकालकर बेचने पर 4 से 5 गुना ज्यादा मुनाफा होता है देश के कई राज्यों में हो रही है एलोवेरा की खेती एलोवेरा की प्रोसेसिंग यूनिट लगाने के लिए सीमैप में दी जाती है ट्रेनिंग अपने जिले में FCCI से लाइसेंस लेकर शुरु कर सकते हैं अपना रोजगार सीएसआईआर-केंद्रीय औषधीय एवं सगंध पौधा संस्थान भी देता है ट्रेनिंग एक एकड़ में करीब 16 हजार पौधे लगते हैं। (जानकारों के मुताबिक) एलोवेरा के जूस की मांग बढ़ने से घृत कुमारी का जूस निकालने की छोटी मशीनें डिमांड में हैं।

एलोवेरा : ये बरतें सावधानियां शुरुआत में कंपनियों से समझौता (कॉन्ट्रैक्ट) कर ही करें खेती 8 से 18 महीने में पहली कटाई करने की सलाह देते हैं जानकार एलोवेरा की कटी पत्तियों को 4-5 घंटे में प्रोसेसिंग यूनिट तक पहुंचना जरूरी कभी न लगाएं कटाई के बाद एलोवेरा की पत्तियों का ढेर जलभराव वाले इलाकों में न करें खेती
मेने इस से पहली पोस्ट में भी बताया है की एलोवेरा की खेती कैसे  की जाती है और यह भी बताय है कि इस का उपयोग किस किस जगह किया जाता है
एलोवेरा को अनेक नामो से पुकारा जाता है
 तो दोस्तों आप को मेरी ये पोस्ट कैसी लगी कमेंट और पसंद करें।
                                                                                        मोहन नेगी धन्यवाद 


 

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