वात- पित्त और कफ
शरीर में वात- पित्त और कफ का संतुलन आपको स्वस्थ रखता है लेकिन इनके असंतुलित होने पर आपको किसी न किसी प्रकार से स्वास्थ्य संबंधी परेशानी का सामना करना पड़ता है। पित्त के बढ़ने पर आपको 46 से 50 बीमारियों का खतरा होता है। जानिए पित्त को सही और संतुलित रखने के लिए क्या खाएं और क्या नहीं -
1 छाछ -
दही का सेवन करने के बजाए इसे पतला करके छाछ के रूप में या लस्सी का सेवन करें। इस में अजवाइन का प्रयोग करना पित्त विकार के लिए फायदेमंद रहेगा।
2
काला नमक -
काला नमक -
छाछ के साथ या खाद्य पदार्थों के साथ काले नमक का सेवन करें लेकिन काला नमक दिन में ही प्रयोग करना फायदेमंद रहेगा।
3 काला जीरा -
काला जीरा पित्त के संतुलन में काफी सहायक होता है। अगर पित्त की समस्या है तो काले जीरे को डाइट में शामिल करें।
4 गाय का घी-
घी तो आप खाते ही होंगे लेकिन कोशिश करें कि गाय के घी का प्रयोग करें। यह पित्त की समस्या में लाभ देता है।
घी तो आप खाते ही होंगे लेकिन कोशिश करें कि गाय के घी का प्रयोग करें। यह पित्त की समस्या में लाभ देता है।
5 आंवला-
आंवला रात को भिगो दें।सुबह उसी में मसलकर छान लें। अब मिश्री जीरा कूटकर मिला कर पिएं।
क्या न खाएं -
आयोडीन युक्त नमक का सेवन ज्यादा न करें।फास्ट फूड, तले हुए गरम व जलन वाले खाने से बचें।
पित्त होने पर त्वचा पर चकत्ते और ददोड़े पड़ जाते हैं, जिनमें तेज खुजली चलती है। ठंडी हवा लगने से यह कष्ट और बढ़ जाता है।
जहाँ शरीर का खुला भाग होता है वहाँ लाल-लाल फुंसियाँ हो जाती हैं। कम्बल ओढ़कर अजवायन की धुनी देने से इसका कष्ट कम हो जाता है।
चिकित्सा काली मिर्च पीसकर घी में मिलाकर चाटने से शीत पित्त में आराम मिलता है। गेरु हल्दी मजीठ काली मिर्च अडूसा सब 10-10 ग्राम लेकर कूट-पीसकर मिलाकर सुबह-शाम चाटने से शीत पित्त में आराम होता है।
दूसरा नुस्खा : गेरु हल्दी दारु हल्दी मजीठ बावची हरड़ बहेड़ा आँवला सब 10-10 ग्राम लेकर कूट-पीसकर मिला लें व शीशी में भर लें। रात को 10 ग्राम चूर्ण एक गिलास पानी में भिगो दें और सुबह पानी नितार कर इसमें दो चम्मच शहद घोलकर पी लें। पानी निथारने के बाद गिलास में बचा गीला चूर्ण लेकर चकत्तों व ददोड़ों पर लेप करे। इस लेप से कष्ट शीघ्र मिट जाता है।
* हरिद्रा खण्ड : हल्दी 300 ग्राम शुद्ध घी 250 ग्राम, दूध 5 लीटर शकर 2 किलो, सौंठ पीपल काली मिर्च तेजपान छोटी इलायची दालचीनी नाग केशर नागरमोथा वायविडंग निशोथ हरड़ बहेड़ा आँवला और लौह भस्म सब 40-40 ग्राम।
हल्दी पीस कर दूध में डालकर आग पर रख उबालें और मावा बना लें मावा घी में भून लें। शकर की चासनी बनाकर इसमें मावा और सभी द्रव्यों का कुटा-पिसा चूर्ण डालकर अच्छी तरह हिलाकर मिला लें फिर थाली में जमने के लिए रख दें जमने पर बरफी काट लें।
चिकित्सा काली मिर्च पीसकर घी में मिलाकर चाटने से शीत पित्त में आराम मिलता है। गेरु हल्दी मजीठ काली मिर्च अडूसा सब 10-10 ग्राम लेकर कूट-पीसकर मिलाकर सुबह-शाम चाटने से शीत पित्त में आराम होता है।
दूसरा नुस्खा : गेरु हल्दी दारु हल्दी मजीठ बावची हरड़ बहेड़ा आँवला सब 10-10 ग्राम लेकर कूट-पीसकर मिला लें व शीशी में भर लें। रात को 10 ग्राम चूर्ण एक गिलास पानी में भिगो दें और सुबह पानी नितार कर इसमें दो चम्मच शहद घोलकर पी लें। पानी निथारने के बाद गिलास में बचा गीला चूर्ण लेकर चकत्तों व ददोड़ों पर लेप करे। इस लेप से कष्ट शीघ्र मिट जाता है।
* हरिद्रा खण्ड : हल्दी 300 ग्राम शुद्ध घी 250 ग्राम, दूध 5 लीटर शकर 2 किलो, सौंठ पीपल काली मिर्च तेजपान छोटी इलायची दालचीनी नाग केशर नागरमोथा वायविडंग निशोथ हरड़ बहेड़ा आँवला और लौह भस्म सब 40-40 ग्राम।
हल्दी पीस कर दूध में डालकर आग पर रख उबालें और मावा बना लें मावा घी में भून लें। शकर की चासनी बनाकर इसमें मावा और सभी द्रव्यों का कुटा-पिसा चूर्ण डालकर अच्छी तरह हिलाकर मिला लें फिर थाली में जमने के लिए रख दें जमने पर बरफी काट लें।
5 या 6 ग्राम वजन में इसे सुबह-शाम खाने से शीत पित्त, एलर्जी त्वचा के विकार ऐलोपैथिक दवा का रिएक्शन आदि सब व्याधि इस हरिद्रा खण्ड के सेवन से नष्ट हो जाती हैं। यह इसी नाम से बना बनाया बाजार में मिलता है। पित्त की बीमारी में
हरिद्रा खण्ड क्या है ये हम बाद में जानेंगे
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Labels: एलर्जी त्वचा के विकार पित्त विकार के, वात- पित्त और कफ, शीत पित्त
1 Comments:
जानकारी तो काफी अच्छी दी है आपने
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