Monday, February 26, 2018

कुछ तो है...

 कुछ तो है तुझसे राफता..।

1.हम वो हैं जो आँखों में आँखें डाल के सच जान लेते हैं तुझसे मुहब्बत है बस इसलिये तेरे झूठ भी सच मान लेते हैं।

2.""""बहुत खूबसूरत है ना वहम ये मेरा..... कि तुम जहाँ भी हो सिर्फ मेरे हो बस ..।

3.हमें कोई शौक नही है . . .. . . . कमबख्त तुझे सताने का . . .बस रहा नहीं जाता हमसे . . .. . . . तुझसे बात किये बिना ।

4.कितनी ही खूबसूरत क्यों न हो तुम.. पर मैं जानता हूँ.. असली निखार मेरी तारीफ से ही आता है..।

5.हाँ है, तो मुस्कुरा दे… ना है, तो नज़र फेर ले…
यूँ शरमा के आँखें झुकाने से उलझनें बढ़ गयी हैं…!

Mohan negi

Wednesday, February 21, 2018

आ भी जा

           बस अब आ जा....।
सोचता  हूँ क्यों हूँ  क्यों करा करता हूँ                      किसी की आस ,
 सब चले गये दूर . बस मैं ही जो रुका हूँ                    ले कर तेरी आस,
आ जाओ  कभी सपनों में ही  बस जब                    गहरी नींद हो कास...! Mohansnegi

मेरा गाँव......।

          " मैं और मेरा गाँव...."
हर बार जब भी जाता हूँ यह सोचकर,
छोड़ आऊंगा अपनी क़दमों के निशां,
अपने शहर अपने गावं में,
अपनी मांटी हर बार देती है मुझे,
न होने का एहसास,
और मै निःशब्द लौट आता हूँ,
एक और प्रयास की चाह लिए !
 दूबारा  वहीं जाता हूँ
कभी तो सफलता पाऊँगा मैं भी......?mohansnegi

Sunday, February 18, 2018

दूर छोर पर...मेरा गाँव।


          दूर छोर पर...मेरा गाँव।  

दूर बहुत दूर,
धरती के एक छोर पर,
               घाटियों की तलहटी में,
               बसा एक गाँव,
मेरा गाँव-
गाँव के बीचों- बीच,
               एक खूबसूरत झील,
              खेती के लिए थोड़ी, परन्तु,
पर्याप्त जमीन,
गाँव के चारों- ओर घने जंगल,
             जंगल में सिरोव के घने खूबसूरत पेड़,
             जो मुझे स्वप्न जैसे लगते,
जंगल के बीच से होता हुआ रास्ता,
गाँव को शहर से जोड़ता,
            जमीं से थोड़ी ऊचाई पर बनी
            छोटे- छोटे लकड़ी के घर
छतों पर दौड़ कर कूद मारना
             स्वप्न लगता है अब .
            गिर कर चोट लगते ही टूट जाता है स्वप्न ...?msnegi !

Labels:

Saturday, February 17, 2018

रेत सा..

"रेत की कणों सा बिखरता चला गया मैं,
कभी सिमटा सा कभी ढलता गया मैं,
कभी पानी की बूदों के साथ धुलता गया मैं,
कभी हवा में पतंग सा उडता गया मैं।"
कभी गहरी खाई में लुडकता गया हूँ में,
कभी लहराता आसमान में उड़ गया में,
रह-रह कर आज तक सोचता रह गया मैं,
यही है क्या जिंदगी। msnegi