मेरा गाँव......।
" मैं और मेरा गाँव...."
हर बार जब भी जाता हूँ यह सोचकर,
छोड़ आऊंगा अपनी क़दमों के निशां,
अपने शहर अपने गावं में,
अपनी मांटी हर बार देती है मुझे,
न होने का एहसास,
और मै निःशब्द लौट आता हूँ,
एक और प्रयास की चाह लिए !
दूबारा वहीं जाता हूँ
कभी तो सफलता पाऊँगा मैं भी......?mohansnegi
हर बार जब भी जाता हूँ यह सोचकर,
छोड़ आऊंगा अपनी क़दमों के निशां,
अपने शहर अपने गावं में,
अपनी मांटी हर बार देती है मुझे,
न होने का एहसास,
और मै निःशब्द लौट आता हूँ,
एक और प्रयास की चाह लिए !
दूबारा वहीं जाता हूँ
कभी तो सफलता पाऊँगा मैं भी......?mohansnegi
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