Wednesday, February 21, 2018

मेरा गाँव......।

          " मैं और मेरा गाँव...."
हर बार जब भी जाता हूँ यह सोचकर,
छोड़ आऊंगा अपनी क़दमों के निशां,
अपने शहर अपने गावं में,
अपनी मांटी हर बार देती है मुझे,
न होने का एहसास,
और मै निःशब्द लौट आता हूँ,
एक और प्रयास की चाह लिए !
 दूबारा  वहीं जाता हूँ
कभी तो सफलता पाऊँगा मैं भी......?mohansnegi

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