Saturday, November 11, 2017

पुराना झोला..

"यादों का एक पुराना झोला"!
मैं तेरे लिए...
तेरी यादों में मैं अपने आप खुद से
लड़ता- झगड़ता रहा,
 कभी तुड़ता रहा कभी मुड़ता रहा ,
 कभी भीग कर तेरी यादों में पिघलता रहा,
कभी तेज धूप में सूखे पत्तों सा खनकता रहा,
मैं तेरे लिए.....तेरी यादों में,
कभी चाँदनी रातों में तारों सा टिमटिमाता रहा,........ मोहन नेगी
कुछ पल रखे थे छुपाकर डायरी के पन्नो पर ,
आज कुछ अनकहे पल कह गये मुझसे
हमें भी तो सांस लेने दो ???? मोहन नेगी
कितनी ही खूबसूरत क्यों न हो तुम.. पर मैं जानता हूँ.. असली निखार मेरी तारीफ से ही आता है..mnegi
हाँ है, तो मुस्कुरा दे… ना है, तो नज़र फेर ले…
यूँ शरमा के आँखें झुकाने से उलझनें बढ़ गयी हैं…!Mohan Negi

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