Sunday, November 5, 2017

फिर से चला जीने..

नमस्कार दोस्तो मैं आप लोगों से अपने विचारों को साझाँ करने के लिए  मैं अपने विचारों को कविताओं व गीतों का रूप दे रहा हूँ । जिसमें आप लोगों का सहयोग आशीर्वाद के रुप में चाहता हूँ । धंयवाद

"जिसको चाह थी पाने की बचपन से उसको ढुढ़ता रहा,
पहले तो घुटनों के बल खिसक खिसक कर घुमता रहा,
खेलते हुए खिलौंनों में उसे पहचानने की कोशिश करता रहा,
स्कूल के बस्तों कापी-किताबों मे उसे पढ़ता खोजता रहा,
पा लूँ उसे कहीं न कहीं बस इसी कोशिश  में उम्र के चढा़व चढ़ता रहा,
विस्वास था पा तो लूँगा बस इसी उधेड़ बुन में जीता रहा,
कभी पानी के घड्डों में, कभी सूखे पत्तों में उसे खोजता रहा,
हर कोशिश पाने की मैं करता रहा,
जब देखा मैने अरे पा लिया,बस कहना था पा लिया छूना था महसूस कर लिया,फिर सोचा-पा लिया तुझे तो फिर क्या चाहत ले कर जी पाऊँगा,फिर किस के सपनों में जी पाऊँगा,फिर किस के साथ अपने अनुभव सांझा  कर पाऊँगा
अच्छा ठीक है फिर से जिंदगी के खट्टी-मिट्ठी यादों के साथ तुझे पाने के लिए जीने जा रहा हूँ।
Msnegi

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