Tuesday, May 8, 2018

बस हाँ..तू...।

                      तेरे लिए..।

ये जो हलकी सी फ़िक्र करते हो न हमारी
बस इसलिए हम बेफिक्र रहने लगे हैं


 सपना मत बनाओ मुझे, सपने सच नहीं होते, बनाना है तो अपना साया बनाओ, कभी साथ ना छोड़ेंगे तुम्हारा.


हम ख़ास तो नहीं मगर बारिश की उन कतरों की तरह अनमोल हैं,
जो मिट्टी में समां जायें तो फिर कभी नहीं मिला करते।


जो लोग एक तरफा प्यार करते है
अपनी ज़िन्दगी को खुद बर्बाद करते है !
नहीं मिलता बिना नसीब के कुछ भी,
फिर भी लोग खुद पर अत्याचार करते है !!


तेरी तो फितरत थी सबसे मुहब्बत करने की,
हम तो बेवजह खुद को खुशनसीब समझने लगे



अगर फुर्सत के लम्हों में मुझे याद करते हो तो अब मत करना,
क्योंकि मैं तन्हा जरूर हूँ ... मगर फ़िज़ूल बिलकुल नहीं...।
                      चंद्रा भगत् ।

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