Thursday, April 12, 2018

वाह रे मेरे बचपन..

      मेरा परिवार ...

----- बड़े होकर भाई-बहन ------
------ कितने दूर हो जाते हैं ------
------ इतने व्यस्त हैं सभी ------
------ कि मिलने से भी मजबूर हो जाते हैं ------

------ एक दिन भी जिनके बिना ------
------ नहीं रह सकते थे हम ------
------ सब ज़िन्दगी में अपनी ------
------ मसरूफ हो जाते हैं ------

------ छोटी-छोटी बात बताये बिना ------
------ हम रह नहीं पाते थे ------
------ अब बड़ी-बड़ी मुश्किलों से ------
------ हम अकेले जूझते जाते हैं ------

------ ऐसा भी नहीं ------
------ कि उनकी एहमियत नहीं है कोई ------
------ पर अपनी तकलीफें ------
------ जाने क्यूँ उनसे छिपा जाते हैं ------

------ रिश्ते नए ------
------ ज़िन्दगी से जुड़ते चले जाते हैं ------
------ और बचपन के ये रिश्ते ------
------ कहीं दूर हो जाते हैं ------

------ खेल-खेल में रूठना-मनाना ------
------ रोज़-रोज़ की बात थी ------
------ अब छोटी सी भी गलतफहमी से ------
------ दिलों को दूर कर जाते हैं ------

------ सब अपनी उलझनों में ------
------ उलझ कर रह जाते हैं ------
------ कैसे बताए उन्हें हम ------
------ वो हमें कितना याद आते हैं ------

------ वो जिन्हें एक पल भी ------
------ हम भूल नहीं पाते हैं ------
------ बड़े होकर वो भाई-बहन ------
------ हमसे दूर हो जाते हैं -----
                     चंद्रा भगत्

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