Monday, May 14, 2018

नवीन..।

             नव चेतना...।

आशा तुम नव जीवन हो
घनघोर निराशा का मर्दन हो
मेरे जीवन का तुम तर्पण हो
तम में प्रकाश का कण हो
मेरे जीवन का हर क्षण हो
जब आयी हो, तुम नव संचार कराया है
हर पल का,सुखद अहसास दिलाया है
तुम जाती हो ,घनघोर निराशा छाती है
तुम मिलती हो ,नव उद्देश्य नजर आ जाते है
तुम सकारत्मकता का उदाहरण हो
मेरे जीवन का कारण हो
मुझमे तुम नव  संचार करो
मेरे कण- कण में तुम वास करो
मेरे जीवन की पूजा हो तुम
संघर्षो की सहभागी हो तुम
मेरा अब उद्धार करो।
मेरा अब उद्धार करो।
                     नवीन भट्ट जी ।
दिल टूटना सजा है महोब्बत की
 दिल जोडना अदा है दोस्ती की
 माँगे जो कुर्बानी वो है महोब्बत
 जो बिन माँगे हो जाऐ कुर्बान
         
     वो है दोस्ती हमारी
                   चंद्रा भगत्

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