Tuesday, December 31, 2019

Happy new year 2020


                Happy new year 2020

अगर आप थर्टी फर्स्ट का जश्‍न कुदरत के शानदार नजारों के बीच मनाना चाह रहे हैं तो ये खूबसूरत जगह आपके लिए तैयार है। पर्यटकों के स्वागत के साथ नए साल के जश्न को यहां खास तैयारियां की गई हैं।
सात हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित जौनसार बावर क्षेत्र का केन्द्र बिंदु चकराता पर्यटन के रूप में अगल ही पहचान रखता है। यहां की मनोहर घाटियां ओर सुहावना मौसम बरबस ही पर्यटकों को अपनी ओर आर्कषित करता है। ऐसे में थर्टी फर्स्ट के साथ न्यू इयर का जश्न पर्यटकों को खुब-ब-खुद चकराता की ओर खींच लेता है। क्षेत्र के पर्यटन व्यवसाइयों में भी थर्टी फर्स्ट व न्यू इयर को लेकर उत्साह है। होटल व्यवसाइयों ने भी थर्टी फर्स्ट की तैयारियां पूरी कर ली हैं। ठंड के बीच पर्यटकों को परेशानी न हो, इसके उचित इंतजाम किए गये हैं। इतना ही नहीं, लोग पहाड़ी और लोक संस्कृति से रूबरू हो सकें, इसके लिए होटलों के लंच और डिनर में पहाड़ी व्यंजन परोसने की तैयारी की गई है। इनमें मंडुवा, झंगोरा व पहाड़ी दालें विशेष रूप से शामिल की गई हैं।
इको फ्रेंडली ढंग से मनेगा थर्टी फर्स्ट
शांत वादियों के चलते हर साल चकराता नए साल के जश्न के लिए पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है। ऐसे में इस बार यहां इको फ्रेंडली तरीके से नए साल को सेलिब्रेट किया जा रहा है। यहां न तो आपके जश्न में कोई तेज म्यूजिक खलल डालेगा और न ही शोर। लोक संगीत की धुन पर शांत वातावरण के बीच लोग अपने दोस्तों और परिवार के साथ नए साल का जश्न मना सकेंगे। चकराता और आसपास की सुरमयी वादियों में स्थित लोक निर्माण विभाग और वन विभाग के गेस्ट हाउस भी नए साल पर पर्यटकों का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। ज्यादातर होटलों की बुकिंग पहले से ही हो चुकी है। कैसे पहुंचे चकराता उत्तराखंड की राजधानी देहरादून से 95 किमी दूरी पर स्थित इस शांत इलाके में आप टैक्सी और बस से पहुंच सकते हैं। देहरादून से हरबर्टपुर चौक होते हुए विकासनगर, बाड़वाला, कालसी, साहिया होते हुए चकराता तक आसानी से पहुंचा जा सकता है।
क्षेत्र के प्रसिद्ध पर्यटक स्थल
सात हजार फीट की ऊंचाई पर बसा चकराता वैसे तो खुद ही पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है। लेकिन, इसके साथ ही निकट में स्थित टाइगर फाल, मुंडाली, देववन, कनासर, लोखंडी, मोइला टॉप, बैराटखाई, बुधेर आदि पर्यटक स्थल भी बेसब्री से पर्यटकों का इंतजार कर रहे हैं। आसन में बोटिंग का लुत्फ भी उठा सकते हैं पर्यटकइस बार नए साल के जश्न पर बर्फबारी के आसार कम लग रहे हैं। इसके चलते भले ही पर्यटक चकराता का रुख कम करें। लेकिन, यदि आप अपने दोस्तों व परिवारों के साथ बोटिंग और झील का लुत्फ उठाना चाहते हैं, तो विकासनगर से मात्र 8 किमी दूर आसन बैराज में मस्ती कर सकते हैं। यहां पर्यटकों के रहने ठहरने से लेकर, बोटिंग और खाने तक के विशेष इंतजाम किए गये हैं।थर्टी फर्स्‍ट मनाने के लिए हिमनगरी सबसे पंसदीदा स्थल है। जहां पर देशी, विदेशी पर्यटक थर्टी फस्र्ट मनाने पहुंचते हैं। यहां पर कैंपफायर भी होते हैं। मुनस्यारी इसके लिए जगजाहिर स्थल है। यहां पर होटलों, पर्यटक आवास गृहों, होमस्टे वालों द्वारा सारी तैयारियां की जाती हैं।
खलिया टॉप
मुनस्यारी के शीर्ष में साढ़े दस हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित खलिया टॉप भी थर्टी फर्स्‍ट मनाने के लिए पर्यटकों का पसंदीदा स्थल है। सड़क से दूरी और बर्फ के चलते हुए यहां तक सीमित पर्यटक पहुंचते हैं। भुजानी में स्थित पर्यटक आवास गृह में थर्टी फस्र्ट मनाया जाता है। खलिया टॉप में थटी्र्र फर्स्‍ट मनाने वाले जीवट वाले पर्यटक होते हैं। यहां पहुंचने के लिए छह किमी की खड़ी चढ़ाई चढऩी होती है। यहां पर बर्फ के बीच थर्टी फर्स्‍ट मनाना एक अलग आनंद है।
ओके  दोस्तों  आज इस साल का आखरी दिन है जिसे पूरा देश ही नहीं पूरा विश्व मनाता है सभी लोग बाईट हुवे कल का खुश हो कर  बिदाई देते है और नए साल के आने की ख़ुशी में दोस्त लोगो ,परिवार के लोगो, के साथ ख़ुशी ख़ुशी गेट और झूमते है  
मैं आप सभी लोगो से निवेदन करना चाहता हूँ आप भी मजे के साथ अच्छी तरह अपना पुराना   साल बिता ये   दूसरी सुबह ऊठे और सब लोगोको  नए साल की मुबारकबाद से 
ओके दोस्तों म आगे और आप के साथ  आऊंगा तो दोस्तों बाई। . आप को नये साल की बहुत बहुत शुभकामनायें। .... happy new year 2020
happy new year happy new year .....2020
your friend mohan singh negi  bye    

Sunday, December 29, 2019

यूट्यूब क्या है

              इन हिंदी और इसे कैसे चालू करें

यूट्यूब (YouTube) की स्थापना वर्ष 2005 में हुई थी, वेब पर आजकल की सारी प्रमुख वीडियो साइट्स में से यूट्यूब सबसे सर्वश्रेष्ठ वेबसाइट है। यहाँ प्रतिदिन लाखों वीडियों अपलोड और शेयर की जाती हैं, जिसमें मूवी के ट्रेलर से लेकर घरेलू नुस्खे की वीडियो तक और भी बहुत कुछ शामिल हैं। कोई भी व्यक्ति जिसके पास कोई वीडियो या कुछ शेयर करने जैसा कुछ हो तो वह इन्टरनेट की सहायता से कर सकता है, फिर चाहे वो बड़े बजट वाली कोई आर्गेनाईजेशन हो या फिर कोई एक व्यक्ति जिसके पास केवल एक वीडियो कैमरा हो। यूट्यूब (YouTube) गूगल के द्वारा चलाई जाती हैं। और यह उनकी सारी प्रॉपर्टी में से यह एक प्रमुख हिस्सा है। यूट्यूब वेब पर पहली कोई ऐसी कोई साईट है जहाँ इतनी भारी मात्रा में वीडियो शेयर किये जाते हैं, और यह लगभग हर देश में उपलब्ध है और इसके अन्दर पचास से भी ज्यादा भाषाएं दी गयीं हैं। कोई भी व्यक्ति यहाँ कैसा भी वीडियो शेयर कर सकता है।
यूट्यूब एक अमेरिकन वीडियो-शेयरिंग वेबसाइट है जिसका मुख्यालय सैन ब्रूनो, कैलिफ़ोर्निया, यूनाइटेड स्टेट्स में स्थित है। फरवरी 2005 में यह सर्विस पहले पे पाल (PayPal) में काम करने वाले तीन लोगों द्वारा बनायी गयी थी। वर्ष 2006 में, गूगल ने इसको US$10.65 लाख में खरीद लिया। यह साईट आपको वीडियो अपलोड, देखने, रेटिंग देने, और शेयर करने, और कमेंट करने की सुविधा प्रदान करती है। यह वीबीएम, एच.264/एमपीईजी-4 ऐवीसी, और एडोब फ़्लैश वीडियो तकनीक की मदद लेते हुए विभिन्न प्रकार के 
लोगों 
और कॉर्पोरेट सेक्टर द्वारा अपलोड किये गए विडियों का संग्रह प्रदान करता है। वीडियो क्लिप, टीवी शो वीडियो, गानों के वीडियो, ऑडियो रिकॉर्डिंग, मूवी के ट्रेलर, और दूसरी चीज़ें जैसे वीडियो ब्लॉग्गिंग, छोटी विडियों, और शिक्षा पर आधारित वीडियो, अत्याधि यहाँ बहुत कुछ उपलब्ध है।
यूट्यूब पर ज्यादातर विषय लोगों के द्वारा ही अपलोड किया जाता है, लेकिन मीडिया कारपोरेशन जैसे की सीबीएस, बीबीएस, वेवो, हुलु, और यूट्यूब पार्टनरशिप प्रोग्राम का हिस्सा होते हुए दूसरे सेक्टर भी अपनी सामग्री को यूट्यूब द्वारा लोगों के बीच प्रस्तुत करते हैं। जिन लोगों ने रजिस्टर नहीं किया है वो केवल वीडियो देख सकते हैं, वहीँ दूसरी ओर जिन लोगों ने रजिस्टर किया हुआ है वो अनगिणत वीडियो अपलोड कर सकते हैं और साथ ही कमेंट भी कर सकते हैं। कुछ वीडियो जो थोड़ी आक्रामक या घ्रणास्पद होती हैं उनके लिए पहले तो आप एक रजिस्टरड यूजर होने चाहिए और साथ ही आपकी उम्र 18 साल से ऊपर होनी चाहिए। वर्ष 2016 में, अलेक्सा इन्टरनेट (वेब ट्रैफिक पर निगरानी रखने वाली कंपनी) ने इसको दुनिया की दूसरी लोकप्रिय साईट करार किया है।





यूट्यूब की कमाई गूगल ऐडसेंस से है, यह एक प्रोग्राम जो लोगों को मुफ्त वीडियो दिखाने से पहले कुछ सेकंड का विज्ञापन दिखाता हैं। यूट्यूब के ज्यादातर वीडियो तो फ्री होते हैं, लेकिन इसमें कुछ अपवाद भी हैं, जिसके अन्दर सब्सक्रिप्शन पर आधारित प्रीमियम चैनल हैं, रेंटल पर फ़िल्में उपलब्ध हैं, साथ ही साथ यूट्यूब रेड भी इनकी एक विशेषता है जिसमें आप विडियो को ऑफलाइन सेव करके उसे बाद में देख सकते है, अन्य सब्सक्रिप्शन जिसमें बिना विज्ञापन के सुविधा उपलब्ध होती है और या कुछ ऐसे वीडियो जो कि इनकी खुद की टीम के द्वारा बनाये गये होते हैं।
वर्ष 2014 में, यूट्यूब ने बताया कि हर एक मिनट में उनकी साईट पर 300 घंटे की नयी वीडियो अपलोड होती हैं, पिछले साल की तुलना से तीन गुना ज्यादा वीडियो अपलोड हुए है, और जिसका ¾ हिस्सा अमेरिका के बाहर से आया हैं। प्रत्येक महीने 8000 लाख लोग इस वेबसाइट का इस्तेमाल करते हैं।
यूट्यूब की अन्य कई विशेषताएं है जो इसे विश्व की सबसे लोकप्रिय वेबसाइट में से एक बनाती है:
1) प्लेबैक विकल्प
2) अपलोडिंग
3) क्वालिटी व् फॉर्मेट
4) 3 डी वीडियो
5) 360^o वीडियो
6)  स्थानीयकरण
7) प्लेटफार्म
8) यूट्यूब रेड
यूट्यूब से जुड़े अन्य पोस्ट पढने के लिए हमारे साथ बने रहें
आज के सब से फेमश यूट्यूब चैनल है टेक्निकल गुरु ,और टेक्निकल ज्ञान 

Saturday, December 28, 2019

अनानास एक सेहत मंद फल

                          अनानास एक सेहत मंद फल

अनानास ब्राजील मूल का पौधा होता है. यह एक ऐसा फल है जिसको आप कभी भी ताजा काटकर खा सकते है. यह कईं तरह के पोषक तत्वों से भरा हुआ फल है, जो शरीर के अंदर मौजूद कईं तरह के विष को बाहर निकालने का कार्य करता है. इसका तना काफी ज्यादा छोटा होता है और इसकी गांठे काफी ज्यादा मजबूत भी होती है. अनानास का तना प्रायः पत्तियों से भरा हुआ होता है और यह पूरी तरह से गठीला होता है. अनानास में प्रचुर मात्रा में कैल्शियम भी पाया जाता है और यह शरीर को कई तरह की ऊर्जा भी प्रदान करता है.

अनानास की खेती सही विधि -

अनानास की खेती अनेक प्रकार की जलवायु में आसानी से की जा सकती है. फिर भी इसकी खेती के लिए दोमट मिट्टी सबसे ज्यादा अच्छी होती है. इसके लिए 5 से 6 पीएच मान वाली पानी की पाइप लाइन को काफी अच्छा माना जाता है. जैवांश बाहुल्य मृदा इसके लिए काफी बेहतर मानी गई है. इसकी खेती के लिए 15 से 33 डिग्री का तापमान बेहतर माना जाता है. अगर देश की बात करें तो हमारे यहां पर पश्चिमी समुद्री तटीय क्षेत्र और उत्तर पूर्वी पहाड़ी क्षेत्रों में समुद्र तट से 1 हजार से 2 हजार फुट की ऊंचाई पर इसको उगाते है. राज्य मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में तो उत्पादन कम ही है. इसके अलावा यह छत्तीसगढ़ के बिलासपुर, बस्तर और सरगुजा जगहों पर इसे आसानी से उगाया जाता है.

बुआई का अच्छा समय-मौसम  

अनानास की खेती के बारे में बात करें तो इसको बरसात के दिनों में उगाया जाता है. दरअसल उत्तर पूर्वी पहाड़ी क्षेत्रों में वर्ष भर पर्याप्त मात्रा में मृदा में नमी बनी रहती है. मैदानी भागों में खेती करने से पूर्व मिट्टी व खेत को अच्छे से जोत लें. पहाड़ी क्षेत्रों में इसकी सीढ़ीदार खेती की जाती हैं. इसकी खेती के लिए इसको बराबर एक कतार से दूसरी कतार में लगाने का कार्य करें. इसको भूमि में 10 सेटींमीटर छोटे रोपे में बोये. भूमि में पौधा सीधा लगाये और उसके कालिका भाग में मिट्टी न भरें. भारत में अधिक दूरी पर कुल 15 से 20 हजार पौधे प्रति हेक्टेयर लगाकर लगभग 10 से 15 टन आसानी से उपज प्राप्त होती है. पौधे से पौधे की दूरी कुल 25 सेमी और कतार की दूरी 60 सेमी पर रखें. इनको 10 सेमी की गहराई में रोपे. पौधों को एक सप्ताह छाया में सुखाए और पत्तियों को अलग कर दें.

अनानास की किस्मे या प्रकार 

अनानास की किस्मों को कुल तीन समूह जैसे - कैमेन समूह, कीन समूह, स्पैनिस समूह आदि में बांटा गया है.

सिंचाई का समय 

अनानास की पौधों की जड़े पूरी तरह से उथली हुई होती है. इस फसल को सूखे के मौसम में हल्की सिंचाई की आवश्यकता होती है. महीने में तीन बार कम से कम तीन सिंचाई करना इसकी फसल के लिए आवश्यक है. सिंचाई की आवश्यकता भूमि की किस्म पर निर्भर होती है
 खाद और उर्वरक का सही अनुपात 
अनानास की खेती को खास मात्रा में खाद की सबसे ज्यादा आवश्यकता होती है. इसकी उत्पादन क्षमता पर नाइट्रोजन और पोटेशियम का सर्वाधिक प्रभाव पड़ता है. अनानास के बागों में अधिक मात्रा में 6 टन कुल कंपोस्ट खाद, 500 किलो अमोनियम सल्फेट, 400 से 450 किलो सिंगल सुपर सल्फेट और 160-250 किलो म्यूरेट ऑफ पोटाश की मात्रा की जरूरत होती है. इसके अलावा उर्वरकों को देना फसल के लिए लाभकारी माना जाता है. पहली मात्रा रोपाई के बाद और दूसरी मात्रा तीन महीनों के बाद जब पेड़ों की जड़े तत्वों को आसानी से ग्रहण करने लगे और विकसित हो जाए. कोशिश करें कि उर्वरकों को पौधों के पास ही लगाए.

कांट-छांट या निराई - गुड़ाई 

अनानास के पौधे को भूस्तरीय और स्लिप्स को समय-समय पर काटते रहें क्योंकि इनकी वृद्धि से पौधों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है. भूस्तरीय जड़ों के अच्छे विकास के लिए पहली फसल के होने के बाद मिट्टी को आसानी से चढ़ाया जाए.
भंडारणअनानास के फलों को अधिक समय तक भंडारित नहीं किया जा सकता है. इसीलिए तोड़ने के कुल 4 से 5 दिनों के अंदर ही इसको खा लेना चाहिए. फल कटाई करने के बाद काट-छाटं करके अच्छे से टोकरी में रखें.अनानास फल खाने  मे बहुत स्वादिस्ट होता है मगर ये और फलों की तुलना मई कीमती होता है      

तुलसी के फायदे

तुलसी के फायदे  - पाठ-१  

तुलसी अत्यंत महत्वपूर्ण एवं उपयोगी पौधा है। इसके सभी भाग अलौकिक शक्ति और तत्वों से परिपूर्ण माने गए हैं। तुलसी के पौधे से निकलने वाली सुगंध वातावरण को शुध्द रखने में तो अति महत्वपूर्ण भूमिका निभाती ही है, भारत में आयुर्वेद चिकित्सा पध्दति में भी तुलसी का बहुत महत्वपूर्ण स्थान रहा है। तुलसी का सदियों में औषधीय रूप में प्रयोग होता चला आ रहा है। तुलसी दल का प्रयोग खांसी, विष, श्वांस, कफ, बात, हिचकी और भोज्य पदार्थों की दुर्गन्ध को दूर करता है। इसके अलावा तुलसी बलवर्ध्दक होती है तथा सिरदर्द स्मरण शक्ति, आंखों में जलन, मुंह में छाले, दमा, ज्वर, पेशाब में जलन व विभिन्न प्रकार के रक्त व हृदय संबंधी बीमारियों को दूर करने में भी सहायक है।
तुलसी में छोटे-छोटे रोगों से लेकर असाध्य रोगों को भी जड़ में खत्म कर देने की अद्भुत क्षमता है। इसके गुणों को जानकर और तुलसी का उचित उपयोग कर हमें अत्यधिक लाभ मिल सकता है। तो लीजिए डाल लेते है तुलसी के महत्वपूर्ण औषधीय उपयोगी एवं गुणों पर एक नजरः
श्वेत तुलसी बच्चों के कफ विकार, सर्दी, खांसी इत्यादि में लाभदायक है। कफ निवारणार्थ तुलसी को काली मिर्च पाउडर के साथ लेने से बहुत लाभ होता है। गले में सूजन तथा गले की खराश दूर करने के लिए तुलसी के बीज का सेवन शक्कर के साथ करने से बहुत राहत मिलती। तुलसी के पत्तों को काली मिर्च, सौंठ तथा चीनी के साथ पानी में उबालकर पीने में खांसी, जुकाम, फ्लू और बुखार में फायदा पहुंचता है। पेट में दर्द होने पर तुलसी रस और अदरक का रस समान मात्रा में लेने से दर्द में राहत मिलती है। इसके उपयोग से पाचन क्रिया में भी सुधार होता है। कान के साधारण दर्द में तुलसी की पत्तियों का रस गुनगुना करके डाले। नित्य प्रति तुलसी की पत्तियां चबाकर खाने से रक्त साफ होता है।
चर्म रोग होने पर तुलसी के पत्तों के रस के नींबू के रस में मिलाकर लगाने से फायदा होता है। तुलसी के पत्तों का रस पीने से शरीर में ताकत और स्मरण शक्ति में वृध्दि होती है। प्रसव के समय स्त्रियों को तुलसी के पत्तों का रस देन से प्रसव पीड़ा कम होती है। तुलसी की जड़ का चूर्ण पान में रखकर खिलाने से स्त्रियों का अनावश्यक रक्तस्राव बंद होता है। जहरीले कीड़े या सांप के काटने पर तुलसी की जड़ पीसकर काटे गए स्थान पर लगाने से दर्द में राहत मिलती है। फोड़े फुंसी आदि पर तुलसी के पत्तो का लेप लाभदायक होता है। तुलसी की मंजरी और अजवायन देने से चेचक का प्रभाव कम होता है। सफेद दाग, झाईयां, कील, मुंहासे आदि हो जाने पर तुलसी के रस में समान भाग नींबू का रस मिलाकर 24 घंट तक धूप में रखे। थोड़ा गाढ़ा होने पर चेहरे पर लगाएं। इसके नियमित प्रयोग से झाईयां, काले दाग, कीले आदि नष्ट होकर चेहरा बेदाग हो जाता है।
तुलसी के बीजों का सेवन दूध के साथ करने से पुरुषों में बल, वीर्य और संतोनोत्पति की क्षमता में वृध्दि होती है। तुलसी का प्रयोग मलेरिया बुखार के प्रकोप को भी कम करता है। तुलसी का शर्बत, अबलेह इत्यादि बनाकर पीने से मन शांत रहता है। आलस्य निराशा, कफ, सिरदर्द, जुकाम, खांसी, शरीर की ऐठन, अकड़न इत्यादि बीमारियों को दूर करने के लिए तुलसी की जाय का सेवन करें। क्या आपने कभी इस बात पर ध्यान दिया कि आपके घर, परिवार या आप पर कोई मुसीबत आने वाली होती है तो उसका असर सबसे पहले आपके घर में स्थित तुलसी के पौधे पर होता है। आप उस पौधे का कितना भी ध्यान रखें धीरे-धीरे वो पौधा सूखने लगता है। तुलसी का पौधा ऐसा है जो आपको पहले ही बता देगा कि आप पर या आपके घर परिवार को किसी मुसीबत का सामना करना पड़ सकता है।
पुराणों और शास्त्रों के अनुसार माना जाए तो ऐसा इसलिए होता है कि जिस घर पर मुसीबत आने वाली होती है उस घर से सबसे पहले लक्ष्मी यानी तुलसी चली जाती है। क्योंकि दरिद्रता, अशांति या क्लेश जहां होता है वहां लक्ष्मी जी का निवास नही होता। अगर ज्योतिष की माने तो ऐसा बुध के कारण होता है। बुध का प्रभाव हरे रंग पर होता है और बुध को पेड़ पौधों का कारक ग्रह माना जाता है। बुध ऐसा ग्रह है जो अन्य ग्रहों के अच्छे और बुरे प्रभाव जातक तक पहुंचाता है। अगर कोई ग्रह अशुभ फल देगा तो उसका अशुभ प्रभाव बुध के कारक वस्तुओं पर भी होता है। अगर कोई ग्रह शुभ फल देता है तो उसके शुभ प्रभाव से तुलसी का पौधा उत्तरोत्तर बढ़ता रहता है।
बुध के प्रभाव से पौधे में फल फूल लगने लगते हैं।प्रतिदिन चार पत्तियां तुलसी की सुबह खाली पेट ग्रहण करने से मधुमेह, रक्त विकार, वात, पित्त आदि दोष दूर होने लगते है मां तुलसी के समीप आसन लगा कर यदि कुछ समय हेतु प्रतिदिन बैठा जाये तो श्वास के रोग अस्थमा आदि से जल्दी छुटकारा मिलता है। घर में तुलसी के पौधे की उपस्थिति एक वैद्य समान तो है ही यह वास्तु के दोष भी दूर करने में सक्षम है हमारें शास्त्र इस के गुणों से भरे पड़े है जन्म से लेकर मृत्यु तक काम आती है यह तुलसी. कभी सोचा है कि मामूली सी दिखने वाली यह तुलसी हमारे घर या भवन के समस्त दोष को दूर कर हमारे जीवन को निरोग एवम सुखमय बनाने में सक्षम है माता के समान सुख प्रदान करने वाली तुलसी का वास्तु शास्त्र में विशेष स्थान है हम ऐसे समाज में निवास करते है कि सस्ती वस्तुएं एवम सुलभ सामग्री को शान के विपरीत समझने लगे है महंगी चीजों को हम अपनी प्रतिष्ठा मानते है कुछ भी हो तुलसी का स्थान हमारे शास्त्रों में पूज्यनीय देवी के रूप में है तुलसी को मां शब्द से अलंकृत कर हम नित्य इसकी पूजा आराधना भी करते है इसके गुणों को आधुनिक रसायन शास्त्र भी मानता है इसकी हवा तथा स्पर्श एवम इसका भोग दीर्घ आयु तथा स्वास्थ्य विशेष रूप से वातावरण को शुद्ध करने में सक्षम होता है शास्त्रानुसार तुलसी के विभिन्न प्रकार के पौधे मिलते है उनमें श्रीकृष्ण तुलसी, लक्ष्मी तुलसी, राम तुलसी, भू तुलसी, नील तुलसी, श्वेत तुलसी, रक्त तुलसी, वन तुलसी, ज्ञान तुलसी मुख्य रूप से विद्यमान है सबके गुण अलग अलग है शरीर में नाक कान वायु कफ ज्वर खांसी और दिल की बिमारिओं पर खास प्रभाव डालती हैद्य वास्तु दोष को दूर करने के लिए तुलसी के पौधे अग्नि कोण अर्थात दक्षिण-पूर्व से लेकर वायव्य उत्तर-पश्चिम तक के खाली स्थान में लगा सकते है यदि खाली जमीन ना हो तो गमलों में भी तुलसी को स्थान दे कर पूजा की जा सकती है  की जा नहीं अपितु हिन्दू लोग तुलसी की पूजा करते है ,
दिनांक २५ दिसम्बर को तुलसी दिवस के रूप में  मनाया जाता है 

IMC एक स्वदेशी कम्पनी है जो आयुर्वेदिक के ज्यादा प्रचार के लिए तत्पर है और काम नहीं कर 
रही है  IMC का ये प्रोडक्ट बहुत ही लाभकारी ,गुण कारी है इस के तुलसी की बात करे तो मैं मोहन  श्री तुलसी  का रोज सेवन करता हूँ  श्री तुलसी हमारे पाचन तंत्र को मजबूत और हमरे अंदुरनी मैल जो हमारे शरीर मे जमा रहता है उसे बाहर करती है यह हमारे शरीर की पूरी तरह सफाई करती है 

श्री तुलसी 










Friday, December 27, 2019

एड्स - कारण और बचाव

         एड्स - कारण और बचाव

एड्स रोग कैसे फैलता है-;

  1. एच.आई.वी. संक्रमित व्‍यक्ति के साथ यौन सम्‍पर्क से।
  2. एच.आई.वी. संक्रमित सिरिंज व सूई का दूसरो के द्वारा प्रयोग करने सें।
  3. एच.आई.वी. संक्रमित मां से शिशु को जन्‍म से पूर्व, प्रसव के समय, या प्रसव के शीघ्र बाद।
एड्स से बचाव-;
  1. यौन सम्‍पर्क के समय निरोध(कण्‍डोम) का प्रयोग करें।
  2. मादक औषधियों के आदी व्‍यक्ति के द्वारा उपयोग में ली गई सिरिंज व सूई का प्रयोग न करें।
  3. एड्स पीडित महिलाएं गर्भधारण न करें, क्‍योंकि उनसे पैदा होने वाले‍ शिशु को यह रोग लग सकता है।
  4. रक्‍त की आवश्‍यकता होने पर अनजान व्‍यक्ति का रक्‍त न लें, और सुरक्षित रक्‍त के लिए एच.आई.वी. जांच किया रक्‍त ही ग्रहण करें।
  5. डिस्‍पोजेबल सिरिन्‍ज एवं सूई तथा अन्‍य चिकित्‍सीय उपकरणों का 20 मिनट पानी में उबालकर जीवाणुरहित करके ही उपयोग में लेवें, तथा दूसरे व्‍यक्ति का प्रयोग में लिया हुआ ब्‍लेड/पत्‍ती काम में ना लेंवें।

    Wednesday, December 25, 2019

    डेंगू से बचने के उपाय

                                         डेंगू से बचने के उपाय 


    1. प्रायः डेंगू का मच्छर दिन के समय काटता है. इसलिए दिन में मच्छरों के काटने से खुद को बचाएं.
    2. बारिश के दिनों में फुल शर्ट ही पहनें. पावों में जूते जरूर पहनें. शरीर को कहीं से भी खुला ना छोड़ें.
    3. घर के आसपास या घर के अंदर पानी नहीं जमने दें. कूलर, गमले, टायर इत्यादि में जमे पानी को तुरंत बहा दें.
    4. कूलर में यदि पानी है तो इसमें किरासन तेल डालें जिससे कि मच्छर पनप ना पाये.
    5. मच्छरदानी का उपयोग करें और मच्छरों को दूर करें.
    6. पानी की टंकियों को सही तरीके से ढंक कर रखें.
    7. यदि आपको डेंगू हो भी गया है तो ये परहेज करते रहें जिससे आपके शरीर का वायरस दूसरों तक न पहुंचे.
    8. सबसे पहले नजदीकी डॉक्टर से सहायता लें और खून में प्लेटलेट्स की जांच करवा लें.
    9. उपचार का मुख्य तरीका सहायक चिकित्सा देना ही है. रोगी को लगातार पानी देते रहें नहीं तो शरीर में पानी की कमी हो सकती है. नसों के जरिए भी रोगी को तरल दिया जाता है.
    10. रोगी के खून में यदि प्लेटलेट्स की संख्या बहुत कम हो जाए या फिर रक्त स्त्राव शुरू हो जाए तो खून चढ़ाना भी पड़ सकता है.
    11. खुद से कोई दवा ना लें क्योंकि यदि आपने गलती से एस्प्रीन या कोई और गैर स्टेरोईड दवाएं ली तो रक्तस्त्राव बढ सकता है.

    अनार के आयुर्वेदिक फायदे

                                      अनार के आयुर्वेदिक  फायदे 


    अनार कई पौष्टिक गुणों से भरपूर बेहतरीन फल है। इसमें बढ़ती उम्र के लक्षणों को कम करने के साथ-साथ कील-मुंहासों तक को ठीक करने की क्षमता है। निश्चित मात्रा में इसका रस पीने से चेहरे पर निखार आता है। साथ ही इसके प्रयोग से बालों को भी कई प्रकार से लाभ होता है।

    1. ह्रदय

    अनार में एंटीऑक्सीडेंट गुण पर्याप्त मात्रा में होता है। यही कारण है कि इसे ह्रदय की सेहत के लिए अच्छा माना गया है। अनार के सेवन से अच्छे कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ता है और हानिकारक ऑक्सीडाइज लिपिट का असर कम होने लगता है। इसके चलते एथेरोस्क्लेरोसिस होने की आशंका काफी हद तक कम हो जाती है। आर्टर धमिनयों में वसा व कोलेस्ट्रॉल के जमा होने पर एथेरोस्क्लेरोसिस नामक बीमारी होती है।
    यह गुणकारी फल सीरम कोलेस्ट्रॉल के स्तर को भी कम करने में सक्षम है। एक अन्य अध्ययन में भी पुष्टि की गई है कि अनार के सेवन से तनाव में कमी आती है और कोशिकाओं को किसी भी प्रकार की क्षति नहीं होती। साथ ही ब्लॉक आर्टरी धमिनयों को भी खोलने में आसानी होती है। अनार के बीज भी कम गुणकारी नहीं हैं। ये न सिर्फ रक्तचाप को सामान्य करते हैं, बल्कि ह्रदय की कोशिकाओं में आई सूजन को भी कम कर सकते हैं।

    2. कैंसर


    ह्रदय रोग व मधुमेह के बाद बारी आती है कैंसर की। इस जानलेवा बीमारी से बचाने में भी अनार काफी हद तक कारगर है। अनार पर हुए कई शोधों में पाया गया है कि इसके बीजों में एंटीकैंसर गुण है। इस गुण के कारण ही अनार शरीर में एलेगिटैनिंस नामक जरूरी यौगिक के प्रभाव को बढ़ाता है, जो कैंसर कोशिकाओं को बढ़ने से रोकता है। साथ ही यह स्किन कैंसर से भी रक्षा करता है |पेट व लंग कैंसर के मामले में भी अनार के बीज लाभकारी साबित हो सकते हैं, क्योंकि इनमें कीमोथेरेपी जैसे गुण पाए गए हैं। इसके अलावा, शरीर में किसी भी तरह का ट्यूमर पनपने पर अगर अनार के रस का सेवन किया जाए, तो ट्यूमर तक होने वाली ब्लड की सप्लाई बंद हो सकती है। इससे ट्यूमर का आकार धीरे-धीरे कम होने लगता है

    3. रोग प्रतिरोधक क्षमता


    अनार के दानों में पाए जाने वाले एंटीऑक्सीडेंट, एंटीबैक्टीरियल व एंटीवायरल गुण रोग प्रतिरोधक क्षमता को बेहतरन करने के लिए जरूरी हैं। विभिन्न शोधों में पाया गया है कि अनार के दाने इन्हीं गुणों के कारण विभिन्न तरह के बैक्टीरिया व वायरस से लड़ सकते हैं। यह कमजोर प्रतिरोधक क्षमता के कारण होने वाली अन्य बीमारियों को ठीक करने में भी सक्षम है।

    4. मजबूत हड्डियां


    अगर आप हड्डियों व जोड़ों के दर्द से परेशान हैं, तो आज से अनार का सेवन करना शुरू कर दें। अनार के दानों में एंटीइंफ्लेमेटरी गुण होता है, जो अर्थराइटिस जैसी बीमारी में फायदेमंद साबित हो सकता है। ऐसे कई प्रमाण सामने आए हैं, जो पुष्टि करते हैं कि अनार के सेवन से जोड़ों में दर्द और सूजन कम हो सकती है। साथ ही गठिया रोग का कारण बनने वाले एंजाइम भी नष्ट हो सकते हैं


    सेब खाने के फायदे

                       सेब खाने के  फायदे

    सेब दुनियाभर में सबसे अधिक खाया जाने वाला फल है. अपने बेहतरीन गुणों के कारण इसे जादुई फल भी कहा जाता है. इसमें पर्याप्त मात्रा में एंटी-ऑक्सीडेंट और बीमारियों से लड़ने वाले तत्व पाए जाते हैं.

    हर रोज एक सेब खाने से डॉक्टर के पास नहीं जाना पड़ता है. बचपन से ही हम सभी ये बात सुनते आ रहे हैं पर क्या आप इस बात पर यकीन भी करते हैं? हम बातें तो बहुत सी सुनते हैं लेकिन उनमें से कुछ ही बातों पर अमल करते हैं. पर ये वाकई सच है कि हर रोज एक सेब खाने से कई तरह की बीमारियों के होने की आशंका कम हो जाती है.
    सेब दुनियाभर में सबसे अधिक खाया जाने वाला फल है. अपने बेहतरीन गुणों के कारण इसे जादुई फल भी कहा जाता है. इसमें पर्याप्त मात्रा में एंटी-ऑक्सीडेंट और बीमारियों से लड़ने वाले तत्व पाए जाते हैं. सेब में कुछ ऐसे भी तत्व पाए जाते हैं जो शरीर में नई कोशिकाओं के निर्माण को प्रोत्साहित करते हैं.
    सेब में पेक्टिन जैसे फायदेमंद फाइबर्स पाए जाते हैं. हर रोज एक सेब खाने से कैंसर, हाइपरटेंशन, मधुमेह और दिल से जुड़ी बीमारियों के होने का खतरा कम हो जाता है. सेब खाने के ये नौ ऐसे फायदे हैं जिनके बारे में बहुत कम लोगों को पता होगा.
    1. स्वस्थ और सफेद दांतों के लिए.
    2. बढ़ती उम्र की वजह से मस्ति‍ष्क पर पड़ने वाले प्रभाव को दूर करने के लिए.
    3. सेब में भरपूर मात्रा में डाइट्री फाइबर्स पाए जाते हैं जो पाचन क्रिया को सही रखने में मददगार होते हैं.
    5. सेब के नियमित सेवन से टाइप-2 मधुमेह होने का खतरा कम हो जाता है.
    6. सेब का सेवन करना दिल के लिए बहुत अच्छा होता है.
    7. सेब के नियमित सेवन से कब्ज की समस्या नहीं होती है.
    8. वजन को नियंत्रित करने के लिए भी सेब का नियमित इस्तेमाल फायदेमंद होता है.
    9. सेब के नियमित इस्तेमाल से शरीर के भीतर मौजूद कई विषाक्त पदार्थ बाहर निकल जाते हैं.

    Tuesday, December 24, 2019

    कीवी फल के गुण

                                                 कीवी फल  के गुण 

       यह  एक  भूरे  रंग  दिखने  वाला  फल  है , कीवी  फल  एक   पहाड़ी  फल  है  सबसे  पहले  इसे  चीन                   में  उगाया  जाता  था  |यहा  से  यह  न्यूजीलैंड  जा  पहुंचा   विश्वभर  में  इसकी  कई   किस्मे  है |                यह  बहार   रोहे  भूरे  रंग  का  और  अंदर  से  चिकना  हरा    फल  है , कीवी  सही  मायने  में                              पोषक  तत्व  का  एक   भरपूर   खजाना  है। कीवी   में  फायवर , विटामिन  सी  , विटामिन  इ ,
       एंटीआक्सीटेंट   और   कई  प्रकार  के  मिनरल्स  पाए  जाते  है।  जो  हमारे  शरीर  के  लिए                               लाभकारी   होता  है |
    यह फल हिमांचल प्रदेश में  ज्यादा पाया जाता है वैसे तो यह फल बहुत गुण करी  और सेहत के लिए बहुत लाभकारी है मगर बहुत ज्यादा कीमती होने के कारण हर कोई इस फल को ले नहीं पता.
    कीवी एक लाभकारी फल तो है ही साथ मे  कीवी फल एक ऐसा फल है जिसे ज्यादातर लोग उसके हरे रंग तथा उसके स्वाद की वजह से खाना पसंद करते हैं. लेकिन क्या आप यह जानतें हैं कि यह फल आपके लिए बहुत फायदेमंद है. आइये जानते हैं इसके फायदों के बारे में-कीवी फल दिल से संबंधित बीमारियों में भी बहुत फायदेमंद होता है. कीवी की मदद से आप अपने रक्त में मौजूद क्लॉटिंग को 18 % तथा ट्राइग्लिस्राइड्स को 15% तक कम कर सकते हैं. जिससे आपका दिल काफ़ी हद तक स्वस्थ बना रहता है.