Saturday, November 11, 2017

पुराना झोला..

"यादों का एक पुराना झोला"!
मैं तेरे लिए...
तेरी यादों में मैं अपने आप खुद से
लड़ता- झगड़ता रहा,
 कभी तुड़ता रहा कभी मुड़ता रहा ,
 कभी भीग कर तेरी यादों में पिघलता रहा,
कभी तेज धूप में सूखे पत्तों सा खनकता रहा,
मैं तेरे लिए.....तेरी यादों में,
कभी चाँदनी रातों में तारों सा टिमटिमाता रहा,........ मोहन नेगी
कुछ पल रखे थे छुपाकर डायरी के पन्नो पर ,
आज कुछ अनकहे पल कह गये मुझसे
हमें भी तो सांस लेने दो ???? मोहन नेगी
कितनी ही खूबसूरत क्यों न हो तुम.. पर मैं जानता हूँ.. असली निखार मेरी तारीफ से ही आता है..mnegi
हाँ है, तो मुस्कुरा दे… ना है, तो नज़र फेर ले…
यूँ शरमा के आँखें झुकाने से उलझनें बढ़ गयी हैं…!Mohan Negi

Sunday, November 5, 2017

फिर से चला जीने..

नमस्कार दोस्तो मैं आप लोगों से अपने विचारों को साझाँ करने के लिए  मैं अपने विचारों को कविताओं व गीतों का रूप दे रहा हूँ । जिसमें आप लोगों का सहयोग आशीर्वाद के रुप में चाहता हूँ । धंयवाद

"जिसको चाह थी पाने की बचपन से उसको ढुढ़ता रहा,
पहले तो घुटनों के बल खिसक खिसक कर घुमता रहा,
खेलते हुए खिलौंनों में उसे पहचानने की कोशिश करता रहा,
स्कूल के बस्तों कापी-किताबों मे उसे पढ़ता खोजता रहा,
पा लूँ उसे कहीं न कहीं बस इसी कोशिश  में उम्र के चढा़व चढ़ता रहा,
विस्वास था पा तो लूँगा बस इसी उधेड़ बुन में जीता रहा,
कभी पानी के घड्डों में, कभी सूखे पत्तों में उसे खोजता रहा,
हर कोशिश पाने की मैं करता रहा,
जब देखा मैने अरे पा लिया,बस कहना था पा लिया छूना था महसूस कर लिया,फिर सोचा-पा लिया तुझे तो फिर क्या चाहत ले कर जी पाऊँगा,फिर किस के सपनों में जी पाऊँगा,फिर किस के साथ अपने अनुभव सांझा  कर पाऊँगा
अच्छा ठीक है फिर से जिंदगी के खट्टी-मिट्ठी यादों के साथ तुझे पाने के लिए जीने जा रहा हूँ।
Msnegi

वक्त ..ने बना दिया ..

1-छू जाते हो तुम 👈 मुझे हर रोज एक नया ख्वाब 👼 बनकर ये दुनिया तो खामखां कहती है कि तुम मेरे करीब नही! Msñegi


2-वक्त ने इस कदर तेरी यादों को जोड़ दिया है
मेरी आँखों में।
जहाँ भी देखू तू ही नजर आती है
Mohan negi

3-" यादों का एक पुराना झोला"
कुछ पक्तियाँ--कि एक जमाना गुजरता था कल गली से ,बडी रफ्तार में था ,मैं जरा सा हट गया कि उसे रास्ता दे दूँ मुझे पता ही न चला 'वो' कब गुजर गया।
Msnegi