Sunday, March 11, 2018

अपनी जिंदगी को एक कविता....।

                     भाग -2
 अपनी जिंदगी को एक  कविता में कहूँ तो कैसे
,....... रोज -रोज स्कूल जाना . रास्तों में दौड़ -दौड़ कर जाना
........ सबसे पीछे पीछे लगना .घन्टीं लगाने दौड़ कर जाना
अपनी जिंदगी को एक ....
........अब तो समझ बढ़ने लगी उम्र  भी आगे चलने लगी .
........पढ़ना मन लगा कर . कुछकरने की चाह जगने लगी
अपनी जिंदगी को एक कविता में ......
.......भारी झोला कांधे में रख कर दौड़ -दौड़ स्कूल जाना .
.......छुट्टी हो तो  सबसे पहले दौड़-दौड़ घर आना
अपनी जिंदगी को एक कविता.....!
                                  मोहन नेगी   

2 Comments:

At March 12, 2018 at 8:06 AM , Blogger Karan said...

This comment has been removed by a blog administrator.

 
At March 30, 2018 at 10:28 PM , Blogger negi shop said...

धन्यवाद

 

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