सोच...
कुुुछ....
*सबको मंजिल का शोक हैं.!!!*
*और मुझे सही रास्तों का.!!!*
*ये दुनिया इसलिए बुरी नहीं कीं, !!!*
*यहाॅ बुरे लोग ज्यादा हैं.!!!*
*बल्की इसलिए बुरी हैं कीं,!!!*
*यहाॅ अच्छे लोग खामोश हैं.!!!*
’ और "सच्चाई"*
*एक*
*ऐसी सवारी है*
*जो अपने सवार को*
*कभी*
*गिरने नहीं देती*
*ना किसी के कदमो में*
*और*
*ना किसी की नज़रों मे*
लोग आपसे नहीं*
*आपकी स्थिति*
*से हाथ मिलाते हैं*
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