पापा .....
पापा मैं छोटी से बड़ी हो गई क्यों
पापा मैं छोटी से बड़ी हो गई क्यों
पापा निगाहों में ममता की बाहों में
कुछ दिन और रहती तो क्या बिगड़ जाता
गया वो बचपन, गए वो अपने
बेगाने हो गैर, सारे वो अपने
नन्ही सी तू गुड़िया मेरी
नन्हा सा वो झूला तेरा
जहां में दूर हुआ
वही मुंह फूल तेरा
फिर से मनाने का
गले से लगाने का
दिन यही और रहते
तो क्या बिगड़ जाता
करूँगा में विदा तुझे है किस दिल से
सोचों जब यही मैं राह जॉन हिल के
पेर मेरी बेटी तुझे जाना तो होगा
तूने जिसे छह उसे पाना तो होगा
चल री सजनी अब क्या सोचे, कजरा न बाह जाए रोते रोते
चंद्रा भगत्
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