Wednesday, January 15, 2020

वसंत पंचमी उत्तर भारत का त्यौहार

            वसंत पंचमी  उत्तर भारत का त्यौहार 


वसंत पंचमी का त्योहार हिंदू धर्म में एक विशेष महत्व रखता है। इस दिन विद्या की देवी सरस्वती की पूजा की जाती है। यह पूजा पूर्वी में बड़े उल्लास से की जाती है। इस दिन स्त्रियाँ पीले वस्त्र धारण कर पूजा-अर्चना करती हैं। पूरे साल को जिन छः मौसमों मेंबाँटा गया है, उनमें वसंत लोगों का मनचाहा मौसम है।
जब फूलों पर बहार आ जाती है, खेतों में सरसों का सोना चमकने लगता है, जौ और गेहूँ की बालियाँ खिलने लगती हैं, आमों के पेड़ों पर बौर आ जाती है और हर तरफ तितलियाँ मँडराने लगती हैं, तब वसंत पंचमी का त्योहार आता है। इसे ऋषि पंचमी भी कहते हैं।
श्री सरस्वती जयंती

वसंत पंचमी की कथा : सृष्टि के प्रारंभिक काल में भगवान विष्णु की आज्ञा से ब्रह्माजी ने मनुष्य योनि की रचना की, परंतु वह अपनी सर्जना से संतुष्ट नहीं थे, तब उन्होंने विष्णु जी से आज्ञा लेकर अपने कमंडल से जल को पृथ्वी पर छि़ड़क दिया, जिससे पृथ्वी पर कंपन होने लगा और एक अद्भुत शक्ति के रूप में चतुर्भुजी सुंदर स्त्री प्रकट हुई। जिनके एक हाथ में वीणा एवं दूसरा हाथ वर मुद्रा में था। वहीं अन्य दोनों हाथों में पुस्तक एवं माला थी। जब इस देवी ने वीणा का मधुर नाद किया तो संसार के समस्त जीव-जंतुओं को वाणी प्राप्त हो गई, तब ब्रह्माजी ने उस देवी को वाणी की देवी सरस्वती कहा।

सरस्वती को बागीश्वरी, भगवती, शारदा, वीणावादनी और वाग्देवी सहित अनेक नामों से पूजा जाता है। संगीत की उत्पत्ति करने के कारण वह संगीत की देवी भी हैं। वसंत पंचमी के दिन को इनके जन्मोत्सव के रूप में भी मनाते हैं। पुराणों के अनुसार श्रीकृष्ण ने सरस्वती से खुश होकर उन्हें वरदान दिया था कि वसंत पचंमी के दिन तुम्हारी भी आराधना की जाएगी। इस कारण हिंदू धर्म में वसंत पंचमी के दिन विद्या की देवी सरस्वती की पूजा की जाती है।

पर्व का महत्व : वसंत ऋतु में मानव तो क्या पशु-पक्षी तक उल्लास भरने लगते हैं। यूं तो माघ का पूरा मास ही उत्साह देने वाला होता है, पर वसंत पंचमी का पर्व हमारे लिए कुछ खास महत्व रखता है। प्राचीनकाल से इसे ज्ञान और कला की देवी माँ सरस्वती का जन्मदिवस माना जाता है, इसलिए इस दिन मां शारदे की पूजा कर उनसे ज्ञानवान, विद्यावान होने की कामना की जाती है। वहीं कलाकारों में इस दिन का विशेष महत्व है। कवि, लेखक, गायक, वादक, नाटककार, नृत्यकार अपने उपकरणों की पूजा के साथ मां सरस्वती की वंदना करते हैं।
पूजन की विधि : वसंत पंचमी आज बुधवार होने की वजह से अधिक फलदायी है। इसमें प्रातः उठकर बेसनयुक्त तेल का शरीर पर उबटन करके स्नान करना चाहिए। इसके बाद स्वच्छ पीले वस्त्र धारणकर माँ शारदे की पूजा करना चाहिए। साथ ही केशरयुक्त मीठे चावल अवश्य घर में बनाकर उनका सेवन करना चाहिए।

वसंत पंचमी या श्रीपंचमी एक हिन्दू त्योहार है। इस दिन विद्या की देवी सरस्वती की पूजा की जाती है। यह पूजा पूर्वी भारत, पश्चिमोत्तर बांग्लादेश, नेपाल और कई राष्ट्रों में बड़े उल्लास से मनायी जाती है। इस दिन स्त्रियाँ पीले वस्त्र धारण करती हैं।
प्राचीन भारत और नेपाल में पूरे साल को जिन छह मौसमों में बाँटा जाता था उनमें वसंत लोगों का सबसे मनचाहा मौसम था। जब फूलों पर बहार आ जाती, खेतों में सरसों का सोना चमकने लगता, जौ और गेहूँ की बालियाँ खिलने लगतीं, आमों के पेड़ों पर बौर आ जाता और हर तरफ़ रंग-बिरंगी तितलियाँ मँडराने लगतीं। भर भर भंवरे भंवराने लगते। वसंत ऋतु का स्वागत करने के लिए माघ महीने के पाँचवे दिन एक बड़ा जश्न मनाया जाता था जिसमें विष्णु और कामदेव की पूजा होती, यह वसंत पंचमी का त्यौहार कहलाता था। शास्त्रों में बसंत पंचमी को ऋषि पंचमी से उल्लेखित किया गया है, तो पुराणों-शास्त्रों तथा अनेक काव्यग्रंथों में भी अलग-अलग ढंग से इसका चित्रण मिलता है। माँ सरस्वती की पूजा करने से अज्ञान भी ज्ञान की दीप जाते हैं!
Vasant Panchami Ritu

नई दिल्ली: 
बसंत पंचमी (Basant Panchami) ३० जनवरी  को मनाई जा रही है. उत्तर भारत के कई राज्यों में श्री पंचमी (Shri Panchami), वसंत पंचमी (Vasant Panchami) और सरस्वती पंचमी (Saraswati Panchami) के नाम से जानी जाने वाली ये पंचमी 9 फरवरी को भी मनाई जाएगी. बसंत पंचमी के दिन प्रयागराज में चल रहे कुंभ में शाही स्नान भी होगा. यह कुंभ मेले का चौथा शाही स्नान है. इस दिन मां सरस्वती की खास पूजा की जाती है. सरस्वती को ज्ञान, कला और संगीत की देवी कहा जाता है. मथुरा में बांकेबिहारी के मंदिरों में रंगोत्सव (Rangotsav) शुरू हो जाता है. वहीं संसार के निर्माता ब्रह्मा ने उन्हें वाणी की देवी नाम दिया. इसके साथ ही, बसंत पंचमी के दिन पीले रंग   का बेहद खास महत्व होता है.

बसंत पंचमी 2020:


बसंत पंचमी एक हिन्दू पर्व है| हिन्दू पंचांग के मुताबिक यह पर्व हर साल माघ मास के शुक्ल पक्ष के पांचवे दिन यानि पंचमी तिथि को मनाया जाता है| इस दिन माँ देवी सरस्वती की आराधना की जाती है| पर्व भारत के आलावा बांग्लादेश और नेपाल में बड़े उल्लास से मनाई जाती है| इस दिन महिलाएं पीले रंग का वस्त्र धारण करती हैं| भारत समेत नेपाल में छः ऋतुओं में सबसे लोकप्रिय ऋतु बसंत है| इस ऋतु में प्रकृति का सौंदर्य मन को मोहित करता है| इस ऋतु का स्वागत करने के लिए माघ महीने के पाँचवे दिन भगवान विष्णु और कामदेव की पूजा की जाती है, जिससे यह बसंत पंचमी का पर्व कहलाता है| शास्त्रों में बसंत पंचमी को ऋषि पंचमी से उल्लेखित किया गया है| बसंत पंचमी को श्रीपंचमी और सरस्वती पंचमी के नाम से भी जाना जाता है| बसंत पंचमी के दिन को देवी सरस्वती के जन्मोत्सव के रूप में भी मनाते हैं| ऋग्वेद में माता सरस्वती का वर्णन करते हुए कहा गया है-
तो  दोस्तों आप को ये पोस्ट किसी लगी आप जरूर  अपनी बात रखे मैं  आप के लिए ऐसे ही पोस्ट लाते रहूंगा
बसंत पंचमी की पोस्ट और भी बड़ी हो सकती है पर मैं अभी दूसरी पोस्ट भी लिखूंगा 
                                           मोहन नेगी  धन्यवाद  









0 Comments:

Post a Comment

Subscribe to Post Comments [Atom]

<< Home