गणतन्त्र दिवस- 2020
गणतन्त्र दिवस -2020
भारतीय संविधान को सम्मान देने के लिये 26 जनवरी को पूरे सम्मान के साथ हर वर्ष भारत में गणतंत्र दिवस मनाया जाता है क्योंकि आज ही के दिन 1950 में ये लागू हुआ था। भारतीय संविधान ने 1935 के अधिनियम को बदल कर खुद को भारत के संचालक दस्तावेज़ के रुप में स्थापित किया था। इस दिन को भारतीय सरकार द्वारा राष्ट्रीय अवकाश के रुप में घोषित किया गया है। भारतीय संवैधानिक सभा द्वारा नये भारतीय संविधान की रुप-रेखा तैयार हुई और स्वीकृति मिली तथा भारत के गणतांत्रिक देश बनने की खुशी में इसे हर वर्ष 26 जनवरी को मनाने की घोषणा हुई।
ब्राजील के राष्ट्रपति जेयर बोल्सोनारो भारत के गणतंत्र दिवस 2020 समारोह में मुख्य अतिथि होंगे |
गणतन्त्र दिवस भारत का एक राष्ट्रीय पर्व है जो प्रति वर्ष 26 जनवरी को मनाया जाता है। इसी दिन सन् 1950 को भारत सरकार अधिनियम (एक्ट) (1935) को हटाकर भारत का संविधान लागू किया गया था। एक स्वतंत्र गणराज्य बनने और देश में कानून का राज स्थापित करने के लिए संविधान को 26 नवम्बर 1949 को भारतीय संविधान सभा द्वारा अपनाया गया और 26 जनवरी 1950 को इसे एक लोकतांत्रिक सरकार प्रणाली के साथ लागू किया गया था। 26 जनवरी को इसलिए चुना गया था क्योंकि 1930 में इसी दिन भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (आई० एन० सी०) ने भारत को पूर्ण स्वराज घोषित किया था। यह भारत के तीन राष्ट्रीय अवकाशों में से एक है, अन्य दो स्वतंत्रता दिवस और गांधी जयंती
भारतीय संविधान को सम्मान देने के लिये 26 जनवरी को पूरे सम्मान के साथ हर वर्ष भारत में गणतंत्र दिवस मनाया जाता है क्योंकि आज ही के दिन 1950 में ये लागू हुआ था। भारतीय संविधान ने 1935 के अधिनियम को बदल कर खुद को भारत के संचालक दस्तावेज़ के रुप में स्थापित किया था। इस दिन को भारतीय सरकार द्वारा राष्ट्रीय अवकाश के रुप में घोषित किया गया है। भारतीय संवैधानिक सभा द्वारा नये भारतीय संविधान की रुप-रेखा तैयार हुई और स्वीकृति मिली तथा भारत के गणतांत्रिक देश बनने की खुशी में इसे हर वर्ष 26 जनवरी को मनाने की घोषणा हुई।
ब्राजील के राष्ट्रपति जेयर बोल्सोनारो भारत के गणतंत्र दिवस 2020 समारोह में मुख्य अतिथि होंगे |
गणतन्त्र दिवस भारत का एक राष्ट्रीय पर्व है जो प्रति वर्ष 26 जनवरी को मनाया जाता है। इसी दिन सन् 1950 को भारत सरकार अधिनियम (एक्ट) (1935) को हटाकर भारत का संविधान लागू किया गया था। एक स्वतंत्र गणराज्य बनने और देश में कानून का राज स्थापित करने के लिए संविधान को 26 नवम्बर 1949 को भारतीय संविधान सभा द्वारा अपनाया गया और 26 जनवरी 1950 को इसे एक लोकतांत्रिक सरकार प्रणाली के साथ लागू किया गया था। 26 जनवरी को इसलिए चुना गया था क्योंकि 1930 में इसी दिन भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (आई० एन० सी०) ने भारत को पूर्ण स्वराज घोषित किया था। यह भारत के तीन राष्ट्रीय अवकाशों में से एक है, अन्य दो स्वतंत्रता दिवस और गांधी जयंती
इतिहास[संपादित करें]
सन् 1929 के दिसंबर में लाहौर में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का अधिवेशन पंडित जवाहरलाल नेहरू की अध्यक्षता में हुआ जिसमें प्रस्ताव पारित कर इस बात की घोषणा की गई कि यदि अंग्रेज सरकार 26 जनवरी 1930 तक भारत को स्वायत्तयोपनिवेश (डोमीनियन) का पद नहीं प्रदान करेगी, जिसके तहत भारत ब्रिटिश साम्राज्य में ही स्वशासित एकाई बन जाता, तो भारत अपने को पूर्णतः स्वतंत्र घोषित कर देगा। 26 जनवरी 1930 तक जब अंग्रेज सरकार ने कुछ नहीं किया तब कांग्रेस ने उस दिन भारत की पूर्ण स्वतंत्रता के निश्चय की घोषणा की और अपना सक्रिय आंदोलन आरंभ किया। उस दिन से 1947 में स्वतंत्रता प्राप्त होने तक 26 जनवरी गणतंत्र दिवस के रूप में मनाया जाता रहा। इसके पश्चात स्वतंत्रता प्राप्ति के वास्तविक दिन 15 अगस्त को भारत के स्वतंत्रता दिवस के रूप में स्वीकार किया गया। भारत के आज़ाद हो जाने के बाद संविधान सभा की घोषणा हुई और इसने अपना कार्य 9 दिसम्बर 1947 से आरम्भ कर दिया। संविधान सभा के सदस्य भारत के राज्यों की सभाओं के निर्वाचित सदस्यों के द्वारा चुने गए थे। डॉ० भीमराव आंबेडकर, जवाहरलाल नेहरू, डॉ राजेन्द्र प्रसाद, सरदार वल्लभ भाई पटेल, मौलाना अबुल कलाम आजाद आदि इस सभा के प्रमुख सदस्य थे। संविधान निर्माण में कुल 22 समितीयां थी जिसमें प्रारूप समिति (ड्राफ्टींग कमेटी) सबसे प्रमुख एवं महत्त्वपूर्ण समिति थी और इस समिति का कार्य संपूर्ण ‘संविधान लिखना’ या ‘निर्माण करना’ था। प्रारूप समिति के अध्यक्ष विधिवेत्ता डॉ० भीमराव आंबेडकर थे। प्रारूप समिति ने और उसमें विशेष रूप से डॉ. आंबेडकर जी ने 2 वर्ष, 11 माह, 18 दिन में भारतीय संविधान का निर्माण किया और संविधान सभा के अध्यक्ष डॉ. राजेन्द्र प्रसाद को 26 नवम्बर 1949 को भारत का संविधान सुपूर्द किया, इसलिए 26 नवम्बर दिवस को भारत में संविधान दिवस के रूप में प्रति वर्ष मनाया जाता है। संविधान सभा ने संविधान निर्माण के समय कुल 114 दिन बैठक की। इसकी बैठकों में प्रेस और जनता को भाग लेने की स्वतन्त्रता थी। अनेक सुधारों और बदलावों के बाद सभा के 308 सदस्यों ने 24 जनवरी 1950 को संविधान की दो हस्तलिखित कॉपियों पर हस्ताक्षर किये। इसके दो दिन बाद संविधान 26 जनवरी को यह देश भर में लागू हो गया। 26 जनवरी का महत्व बनाए रखने के लिए इसी दिन संविधान निर्मात्री सभा (कांस्टीट्यूएंट असेंबली) द्वारा स्वीकृत संविधान में भारत के गणतंत्र स्वरूप को मान्यता प्रदान की गई।
सन २०१९ मे, गुगल कंपनी ने इस अवसर पे अपने वेबसाईट के भारतीय आवृत्ती पर डुडल जाहीर कर दिया|
26 जनवरी 2020 भाषण गणतंत्र दिवस स्पीच Republic Day Speech गणतंत्र दिवस 26 जनवरी 2020 पर शानदार भाषण [ रिपब्लिक डे स्पीच ] Republic Day Speech/Bhashan Hindi Speech On Gantantra Diwas 2020 भारत के स्वाधिनता दिवस पर हिंदी में बेस्ट स्पीच और भाषण : भारत में बड़े ही धूम धाम से 26 जनवरी को मनाया जाने वाला राष्ट्रीय पर्व है | इसी दिन सन 1950 को भारत का संविधान लागु हुआ था | एक स्वतंत्र गणराज्य बनने के लिए 26 जनवरी 1949 भारतीय संविधान सभा द्वारा इस संविधान को अपनाया गया था | और 26 जनवरी 1950 को इसे एक लोकतान्त्रिक सरकार प्रणाली के साथ लागु किया गया था | 26 जनवरी को इस लिए चुना गया था क्योकि 1930 को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने भारत को पूर्ण स्वराज घोषित किया था | Gantantra Diwas Bhashan 2020 And Best Republic Day Speech 26 January 2020 के साथ साथ गणतंत्र दिवस 26 जनवरी 2020 पर भाषण जो एक शानदार तरीके से तैयार किया गया है साथ में उसका विडियो भी दिया गया है आप देख सकते है | 26 जनवरी पर शानदार भाषण रिपब्लिक डे पर भाषण भारत के गणतंत्र दिवस पर भाषण गणतंत्र दिवस पर हिंदी भाषण 26 जनवरी 2020
गणतंत्र दिवस का भाषण :
26 जनवरी गणतंत्र दिवस-2020 : आदरणीय गुरुजन गण मेरे प्यारे भाई और बहिनों हम सभी को पता है की आज हम यहाँ क्यों इकठे हुए | हम यहाँ भारत का 70 वॉ गणतंत्र दिवस Gantantra Diwas मानाने जा रहे है |इस ख़ुशी के मोके पर में आप सभी को बताना चाहता हु की भारत ने 15 अगस्त 1947 को अंग्रेजो की गुलामी से आजादी मिली थी और इसके लगभग 2 साल 11 महीने और 18 दिनों के बाद 26 जनवरी 1950 को भारत ने अपना संविधान लागु किया था | इसी दिन से भारत एक लोकतांत्रिक गणराज्य के रुप में घोषित किया गया था |
पहली बार राष्ट्रीय सभा को ड्राफ्टिंग कमेटी ने 4 नवम्बर 1947 को सविंधान पहली रुपरेखा तैयार की गयी थी | 26 जनवरी 1950 को हिंदी और अंग्रेजी दोनों में राष्ट्रीय सभा द्वारा भारतीय संविधान की रूपरेख पर हस्ताक्षर किये गये थे | उसी दिन से यानि 26 जनवरी 1950 से भारत का संविधान अस्तित्व में आया था | तब से आज तक प्रतेक 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के रूप में मनाने की शुरुवात हुई थी | जबकि भारत का इतिहास बहुत बड़ा है
भारत को गणतंत्र देश इस लिय कहा गया है क्योकि देश की सर्वोच्च शक्ति को चुनने का अधिकार केवल देश की जनता के पास है | जहा देश की जनता अपना नेता प्रधानमंत्री चुन सकती है | भारत में पूर्ण स्वराज के लिए हमारे स्वतंत्रता सेनानियों ने बहुत संघर्ष किया उन्होंने अपने प्राणों की आहुति दी ताकि आने वाली पीढ़ी को कोई संघर्ष न कारण पड़े और वो इस भारत जैसे बड़े देश को आगे लेकर जा सके |
हमारे देश के महान नेता और स्वतंत्रता सेनानी जिन्होंने भारत की आजादी में अंग्रेजों के खिलाफ़ लगातार संघर्ष करके हमें आजादी दिलाई थी | इन महान नेताओ के समर्पण को हम कभी भी नहीं भूल सकते इसी अवसर पर हम इन नेताओ को याद करते है और उन्हें सलामी दी जाती है | जबकि हर साल एक भव्य मार्च पास्ट इंडिया गेट से राष्ट्रपति भवन तक आयोजित की जाती है | इस मार्च पास्ट में भारतीय तीनो सेनाओ वायुसेना, नौसेना, थल सेना द्वारा अपना करतब दिखाया जाता है | इस समारोह में भाग लेने के लिए देश के सभी हिस्सों से राष्ट्रीय कडेट कोर व विभिन्न विद्यालयों से बच्चे भी भाग लेते हैं | मार्च पास्ट शुरू होने पर भारत के प्रधानमंत्री अमर जवान ज्योति को पुष्प माला पहनते हैं | इसके बाद शहीद सैनिकों की स्मृति में दो मिनट मौन रखा जाता है |
26 जनवरी को गणतंत्र दिवस समारोह पर भारत के राष्ट्रपति द्वारा भारतीय राष्ट्र ध्वज National Flag को फहराया जाता हैं | इसके बाद सामूहिक रूप में खड़े होकर भारतीय राष्ट्रगान गाया जाता है |भारतीय राष्ट्रीय ध्वज़ 3 रंग व 24 बराबर तीलियों के साथ बीचो बीच में एक चक्र है | राष्ट्रीय ध्वज़ के सभी तीन रंगों का अपना अलग -अलग अर्थ है | सबसे उपर 1 . केसरिया रंग जो देश की मजबूती और हिम्मत को दिखाता है | 2. मध्य में सफेद रंग जो शांति को प्रदर्शित करता है | 3. सबसे नीचे का हरा रंग जो वृद्धि और समृद्धि का सूचक है | तिरंगे के मध्य 24 तीलिया वाला एक नेवी रंग का चक्र है जो महान सम्राट अशोक के धर्म को प्रदर्शित करता है |
इसके बाद विभिन्न राज्यों की प्रदर्शनी भी होती हैं | प्रदर्शनी में हर राज्य के लोगों की विशेषता उनके लोक गीत व कला का प्रदशर्न किया जाता है | इस मार्च पास्ट का सीधा प्रसरण टेलीवजन पर किया जाता है जिसे दुनिया के प्रतेक कोने में देखा जाता है | जबकि भारत के राष्ट्रपति व प्रधानमंत्री द्वारा दिये गये भाषण को सुनने के लिए लाखों कि भीड़ लाल किले पर एकत्रित होती है |धन्यवाद
” जय हिन्द ” जय भारत “
आओ हम सब अब राष्ट्रगान का आनन्द उठाये :
जन-गण-मन अधिनायक जय हे,
भारत-भाग्य-विधाता ।
पंजाब सिन्धु गुजरात मराठा,
द्रावि़ड़ उत्कल बंग ।
विन्ध्य हिमाचल यमुना गंगा,
उच्छल जलधि तरंग ।
तव शुभ नामे जागे,
तव शुभ आशिष मांगे,
गाहे तव जय गाथा ।
जन-गण मंगलदायक जय हे,
भारत-भाग्य-विधाता ।
जय हे ! जय हे !! जय हे !!!
जय ! जय ! जय ! जय हे !!
आप को ये मेरी पोस्ट किसी लगी कमेंट कर के जरूर बताये
मोहन नेगी धन्यवाद
0 Comments:
Post a Comment
Subscribe to Post Comments [Atom]
<< Home